भारत का राष्ट्रपति भारत का संवैधानिक प्रमुख होता है जिसे हर 5 साल बाद चुना जाता है. भारतीय संविधान के अनुच्छेद 54 में राष्ट्रपति चुनाव की विधि का वर्णन किया गया है. इस अनुच्छेद के अनुसार भारत के राष्ट्रपति का चुनाव आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के एकल संक्रमणीय मत पद्धति के द्वारा होता है.
राष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया
राष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया वर्तमान राष्ट्रपति के कार्यकाल पूरा होने के कुछ समय पहले ही इस शुरू हो जाती है. इकी घोषणा तत्कालीन राष्ट्रपति द्वारा की जाती है. इस चुनाव को संपन्न कराने की जिम्मेदारी भारतीय चुनाव आयोग की होती है. चुनाव आयोग रिटर्निग आफिसर को नियुक्त करता है जिसके माध्यम से चुनाव संपन्न कराया जाता है.
राष्ट्रपति चुनाव जमानत राशि
प्रत्येक उम्मीदवार को सुरक्षा जमा राशी के रुप में 15 हजार रुपए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया में जमा करना होता है. जिस उम्मीदवार को जीतने के लिए आवश्यक वोटों की संख्या का 1/6 वोट से कम वोट प्राप्त होते हैं, उसकी जमानत राशि जब्त हो जाती है.
मतदान केंद्र
राष्ट्रपति चुनाव के लिए मतदान केद्र संसद भवन और राज्यों की विधानसभाओं में बनाया जाता है. विधान सभा के सचिव रिटर्निग आफिसर बनाए जाते हैं. सांसद अपना वोट संसद भवन नई दिल्ली के मतदान केंद्र में, जवकि विधायक अपना वोट अपने विधानसभा स्थित मतदान केंद्र में डालते हैं.
राष्ट्रपति चुनाव सम्बन्धी विवादों का निबटारा
राष्ट्रपति के निर्वाचन सम्बन्धी किसी भी विवाद में निणर्य लेने का अधिकार उच्चतम न्यायालय को है.

राष्ट्रपति उम्मीदवार के लिए योग्यता
राष्ट्रपति पद के लिए वही उम्मीदवार हो सकता है जो:
- भारत का नागरिक हो.
- आयु 35 वर्ष या उससे अधिक हो.
- लोकसभा का सदस्य बनने की योग्यता हो.
- सरकार के अधीन किसी भी लाभ के पद पर नहीं हो.
निम्नलिखित कुछ कार्यालय-धारकों को राष्ट्रपति के उम्मीदवार के रूप में खड़ा होने की अनुमति दी गई है:
- वर्तमान राष्ट्रपति
- वर्तमान उपराष्ट्रपति
- किसी भी राज्य के राज्यपाल
- संघ या किसी राज्य के मंत्री.
राष्ट्रपति चुनाव में वोट का अधिकार
राष्ट्रपति का चुनाव निर्वाचक मंडल यानी इलेक्टोरल कॉलेज करता है. अर्थात जनता अपने राष्ट्रपति का चुनाव सीधे नहीं करती, बल्कि उसके वोट से चुने गए प्रतिनिधि करते हैं. राष्ट्रपति पद के लिए वोट देने का अधिकार है:
- लोकसभा के निर्वाचित सदस्य
- राज्यसभा के निर्वाचित सदस्य
- सभी प्रदेशों की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य
नोट: राष्ट्रपति द्वारा संसद में नामित सदस्य वोट नहीं डाल सकते. क्योंकि वे निर्वाचित सदस्य नहीं होते. इसके अलावा भारत में 6 राज्यों में विधान-परिषद भी हैं. इन विधान परिषद के सदस्य भी राष्ट्रपति चुनाव में मत का प्रयोग नहीं कर सकते हैं.
राष्ट्रपति चुनाव में वोट वेल्यु (अनुपातिक व्यवस्था)

राष्ट्रपति चुनाव में वोट करने वाले मतदाताओं (सांसदों और विधायकों) का एक ख़ास वोट वेल्यु होता है. यह वोट वेल्यु जिस तरह तय होता है, उसे अनुपातिक प्रतिनिधित्व व्यवस्था कहते हैं.
मतदाताओं की कुल संख्या 4809 है, जिसमें 776 सांसद और विधानसभाओं के चार हजार 33 सदस्य शामिल हैं.
2022 में देश के इलेक्ट्रॉरल कालेज के कुल सदस्यों का कुल वोट वेल्यु 10,86,480 है. राष्ट्रपति चुनाव में जीत के लिए 5,43,241 वोट की जरूरत होती है.
सांसदों का वोट वेल्यु निश्चित है मगर विधायकों का वोट वेल्यु प्रत्येक राज्य की आबादी और उसके कुल विधायकों के अनुपात से निकाला जाता है.
वर्तमान में प्रत्येक सांसद का वोट वेल्यु का मूल्य 700 है जबकि उत्तर प्रदेश के प्रत्येक विधायकों का वोट वेल्यु सबसे ज्यादा (प्रत्येक का 208) है और सिक्किम का सबसे कम (प्रत्येक का 7) है.
(प्रत्येक सांसद का वोट वेल्यु 708 से घटकर 700 रह गया है, जिसका कारण जम्मू-कश्मीर में विधानसभा का नहीं होना है.)
विधायकों का वोट वेल्यु
विधायक का वोट वेल्यु निकालने के लिए प्रदेश की जनसंख्या को चुने गए विधायकों की संख्या से बांटा जाता है. इस तरह जो भी संख्या मिलती है, उसे फिर 1000 से भाग दिया जाता है. अब जो आंकड़ा आता है, वही उस राज्य के एक विधायक के वोट वेल्यु होता है. 1000 से भाग देने पर अगर शेष 500 से ज्यादा हो तो वेटेज में एक जोड़ दिया जाता है.
विधायकों के वोट का मूल्य वर्ष 1971 में हुई जनगणना से लगाया जाता है, जो वर्ष 2026 तक चलेगा.
एक उदहारण के तौर पर:
1971 की जनगणना के अनुसार मध्यप्रदेश की आबादी 30,017,180 थी, और राज्य के कुल विधायकों की संख्या 230 है.
अब मध्यप्रदेश के 1 विधायक का वोट वेल्यु =(30,017,180÷230)÷1000=130.509
चुकी शेष (509) 500 से ज्यादा है, अतः मध्यप्रदेश के 1 विधायक का वोट वेल्यु =130+1=131
नीचे प्रत्येक राज्य के विधायकों की संख्या और वोट वेल्यु दिए गये हैं:
# | राज्य | विधायकों की संख्या | वोट वेल्यु |
---|---|---|---|
1 | Andhra Pradesh | 175 | 148 |
2 | Arunachal Pradesh | 60 | 8 |
3 | Assam | 126 | 116 |
4 | Bihar | 243 | 173 |
5 | Chhattisgarh | 90 | 129 |
6 | Delhi | 70 | 58 |
7 | Goa | 40 | 20 |
8 | Gujarat | 182 | 147 |
9 | Haryana | 90 | 112 |
10 | Himachal Pradesh | 68 | 51 |
11 | Jammu and Kashmir | 87 | 72 |
12 | Jharkhand | 81 | 176 |
13 | Karnataka | 224 | 131 |
14 | Kerala | 140 | 152 |
15 | Madhya Pradesh | 230 | 131 |
16 | Maharashtra | 288 | 175 |
17 | Manipur | 60 | 18 |
18 | Meghalaya | 60 | 17 |
19 | Mizoram | 40 | 8 |
20 | Nagaland | 60 | 9 |
21 | Odisha | 147 | 149 |
22 | Puducherry | 30 | 16 |
23 | Punjab | 117 | 116 |
24 | Rajasthan | 200 | 129 |
25 | Sikkim | 32 | 7 |
26 | Tamil Nadu | 234 | 176 |
27 | Telangana | 119 | 148 |
28 | Tripura | 60 | 26 |
29 | Uttar Pradesh | 403 | 208 |
30 | Uttarakhand | 70 | 64 |
31 | West Bengal | 294 | 151 |
– | Total | 4120 | – |
सांसदो का वोट वेल्यु
सांसदों का वोट वेल्यु निकलने के लिए सबसे पहले सभी रा्ज्यों की विधानसभाओं के चुने गए सदस्य का वोट वेल्यु जोड़ा जाता है.
रा्ज्यों की विधानसभाओं के चुने गए सदस्य का वोट वेल्यु है: 549774
अब इस सामूहिक वोट वेल्यु का राज्यसभा और लोकसभा के चुने गए सदस्य की कुल संख्या (233+543) से भाग दिया जाता है.
अतः 549774÷(233+543) = 708.47
इस तरह जो संख्या आती है, वह एक सांसद का वोट वेल्यु होता है. (अगर इस तरह भाग देने पर शेष 0.5 से ज्यादा बचता हो तो वोट वेल्यु में 1 जोड़ दिया जाता है)
सदन | सीटें | वोट वेल्यु | कुल वोट वेल्यु |
---|---|---|---|
लोकसभा | 543 | 708 | 384444 |
राज्य सभा | 233 | 708 | 164964 |
कुल | 776 | 708 | 549408 |
राष्ट्रपति चुनाव में कुल वोट
निर्वाचक | कुल संख्या | वोटों की कुल संख्या |
---|---|---|
विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य (MLAs) | 4120 | 549774 |
लोक-सभा के निर्वाचित सदस्य (MPs) | 543 | 384444 |
राज्य-सभा के निर्वाचित सदस्य (MPs) | 233 | 164964 |
कुल | 4896 | 1098882 |
सभी विधायकों और सांसदो के कुल मिलाकर वोट 10,98,882 बनते है, और राष्ट्रपति बनने के लिए इसके आधे से 1 अधिक (10,98,882 का 50% + 1) = 5,49,442 वोटों की जरूरत पड़ती है.
कैसे होती है वोटिंग (सिंगल ट्रांसफरेबल वोटिंग)
इस चुनाव में एक खास तरीके से वोटिंग होती है, जिसे ‘सिंगल ट्रांसफरेबल वोट सिस्टम’ कहते हैं. राष्ट्रपति चुनाव में वोटिंग के दौरान प्रत्येक वोटर को बैलेट पेपर पर अपनी पहली, दूसरी और तीसरी पसंद के उम्मीदवार की जानकारी देनी होती है.
कैसे होती है वोटों की गिनती
सबसे पहले पहली वरीयता के वोट गिने जाते हैं, इस प्रक्रिया से ही अगर निर्धारित 5,49,442 वोटों की संख्या पूरी हो जाती है तो चुनाव पूरा माना जाता है.
अगर पहली वरीयता के वोट पूरे नहीं पड़ते हैं पहले उस उम्मीदवार को बाहर किया जाता है, जिसे पहली गिनती में सबसे कम वोट मिले, लेकिन उसको मिले वोटों में से यह देखा जाता है कि उनकी दूसरी पसंद के कितने वोट किस उम्मीदवार को मिले हैं. फिर सिर्फ दूसरी पसंद के ये वोट बचे हुए उम्मीदवारों के खाते में ट्रांसफर किए जाते हैं. यदि ये वोट मिल जाने से किसी उम्मीदवार के कुल वोट तय संख्या (5,49,442) तक पहुंच गए तो वह उम्मीदवार विजयी माना जाता है. अन्यथा दूसरे दौर में सबसे कम वोट पाने वाला रेस से बाहर हो जाता है और यह प्रक्रिया फिर से दोहराई जाती है.
कौन दिलाता है राष्ट्रपति पद की शपथ
चुनाव के परिणाम की घोषणा भारत के गजट में की जाती है.
चुनाव के परिणाम की घोषणा के बाद नवनिर्वाचित राष्ट्रपति अपने पद की शपथ भारत के मुख्य न्यायाधीश के सामने लेते हैं. यदि मुख्य न्यायाधीश उपस्थित नहीं हो तो सुप्रीम कोर्ट के सबसे सीनियर न्यायाधीश की उपस्थिति में शपथ ग्रहण की जाती है.
मुख्य तथ्यों पर एक संक्षिप्त दृष्टि
- नीलम संजीव रेड्डी एकमात्र ऐसे राष्ट्रपति थे जिनको निर्विरोध चुना गया था. हालांकि इस चुनाव में उनको मिलाकर 37 लोगों ने नामांकन किया था. लेकिन 36 उम्मीदवारों का नामांकन खारिज कर दिया गया था.
- 1952 में जब पहला राष्ट्रपति चुनाव हुआ तो डॉ राजेंद्र प्रसाद के खिलाफ चार उम्मीदवार थे. इसमें राजेंद्र प्रसाद को 5,07,400 वोट मिले थे. लेफ्ट ने केटी शाह को मैदान में उतारा था जिन्हें 92 हजार वोट के आसपास मिला था. इसके अलावा थाट्टे लक्ष्मण गणेश, हरि राम चौधरी और कृष्ण कुमार चैटर्जी भी चुनाव लड़े थे.
- देश के तीसरे राष्ट्रपति जाकिर हुसैन का निधन कार्यकाल के दौरान हो गया था. संविधान के अनुच्छेद 65 (1) के अनुसार उपराष्ट्रपति रहे वीवी गिरि ने कार्यकारी राष्ट्रपति के रूप में पद संभाला. जुलाई 1969 में गिरि ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया. इसके बाद वे चौथे राष्ट्रपति चुने गये.
- वर्ष 1952 में हुए पहले राष्ट्रपति चुनाव के लिए एक संसद सदस्य के मत का मूल्य सबसे कम 494 था. वर्ष 1974 के राष्ट्रपति चुनाव में एक सांसद के मत का मूल्य सबसे अधिक 723 था.