देश के पहले लोकपाल की नियुक्ति

उच्‍चतम न्‍यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्‍यायमूर्ति पिनाकी घोष ने 23 मार्च को देश के पहले लोकपाल अध्‍यक्ष के रूप में शपथ ली. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उन्हें पद की शपथ दिलाई. जस्टिस घोष के नियुक्ति की औपचारिक मंजूरी 19 मार्च को राष्ट्रपति कोविंद ने दी थी.

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन, पूर्व अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी की चयन समिति ने जस्टिस घोष का नाम की सिफारिश इस पद के लिए की थी. इसके बाद राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने नियुक्तियों को मंजूरी दी थी.

लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने इस बैठक में भाग नहीं लिया था, हालांकि वह भी समिति के सदस्य थे. उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में रिटायर्ड जज डीके जैन को भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) का पहला लोकपाल नियुक्त किया.

लोकपाल समिति के सदस्य
नियमों के अनुसार, लोकपाल समिति में 1 अध्यक्ष और अधिकतम 8 सदस्य हो सकते हैं. इनमें से 4 न्यायिक सदस्य होने चाहिए. इनमें से कम से कम 50 फीसदी सदस्य अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यक और महिलाएं होनी चाहिए. नवनियुक्त लोकपाल समिति के सदस्य हैं:

लोकपाल अध्यक्ष: जस्टिस पीसी घोष
न्यायिक सदस्य: जस्टिस दिलीप बी भोंसले, जस्टिस प्रदीप कुमार मोहंती, जस्टिस अभिलाषा कुमारी और जस्टिस अजय कुमार त्रिपाठी.
गैर-न्यायिक सदस्य: दिनेश कुमार जैन, अर्चना रामसुंदरम, महेंद्र सिंह और डॉक्टर इंद्रजीत प्रसाद गौतम.

लोकपाल के सदस्यों की शपथ

लोकपाल के नव-नियुक्त सभी आठ सदस्यों ने 27 मार्च को शपथ ली. लोकपाल अध्यक्ष न्यायमूर्ति पिनाकी चंद्र घोष ने इन्हें शपथ दिलाई. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने हाल ही में को देश के पहले लोकपाल के तौर पर न्यायमूर्ति घोष को शपथ दिलाई थी. इस शपथ ग्रहण के साथ ही लोकपाल ने औपचारिक रूप से काम करना शुरू कर दिया है.

कौन हैं जस्टिस पीसी घोष?
जस्टिस घोष सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज रह चुके हैं. वह कलकत्ता और आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस भी रह चुके हैं. 67 वर्षीय जस्टिस घोष जून 2017 से राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) के सदस्य हैं.

लोकपाल का चयन कमिटी
लोकपाल नियुक्ति की चयन कमिटी में प्रधानमंत्री, चीफ जस्टिस या उनके द्वारा नामित जज, नेता विपक्ष, लोकसभा अध्यक्ष और एक जूरिस्ट होता है.

क्या है लोकपाल विधेयक
संसद के दोनों सदनों ने लोकपाल विधेयक 2013 में पारित किया था. यह विधेयक लोक-सेवकों के ख़िलाफ़ भ्रष्टाचार की जांच के लिए केंद्र में लोकपाल और राज्यों में लोकायुक्तों की नियुक्ति का प्रावधान करता है.

लोकपाल के लिए योग्यता और शर्तें
लोकपाल कानून, 2013 में लोकपाल की नियुक्ति के लिए निम्नलिखित योग्यता और शर्तें निर्धारित की गई है:

  • लोकपाल के तौर पर नियुक्त होने वाले उम्मीदवार को सुप्रीम कोर्ट का वर्तमान या पूर्व न्यायाधीश होना चाहिए या देश के किसी उच्च न्यायालय का वर्तमान और पूर्व मुख्य न्यायाधीश होना चाहिए.
  • ग़ैर-न्यायिक सदस्य होने की स्थिति में नियुक्ति के लिए भ्रष्टाचार रोधी, प्रशासन, सतर्कता, क़ानून एंव प्रबंधन संबंधित क्षेत्र का 25 सालों का अनुभव होना चाहिए.
  • कोई निर्वाचित प्रतिनिधि या कोई कारोबारी या पंचायत व नगर निगम के सदस्य की नियुक्ति नहीं हो सकती.
  • उम्मीदवार किसी ट्रस्ट या लाभ के पद पर भी नहीं होना चाहिए.

लोकपाल का कार्यकाल और वेतन
लोकपाल का कार्यकाल पांच वर्ष का होगा और वेतन भारत के मुख्य न्यायाधीश के समान होगा.