द्विमासिक मौद्रिक नीति की समीक्षा: अप्रैल-मई 2019
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता में छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक 2 अप्रैल से 4 अप्रैल तक मुंबई में हुई. यह चालू वित्त वर्ष (2019-20) की पहली द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक थी.
रेपो अब 6 प्रतिशत
RBI ने इस समीक्षा बैठक में रेपो रेट में 25 बेसिस पॉइंट की कटौती की है. इस कटौती के बाद अब रेपो रेट 6.25% से घटकर 6.00% हो गया है. RBI की इस समीक्षा बैठक के 6 में से 4 सदस्यों ने नीतिगत दर में कटौती का पक्ष लिया जबकि दो सदस्यों ने रेपो दर स्थिर रखने का समर्थन किया. इससे पहले 7 फरवरी 2019 को RBI ने रेपो रेट को 0.25 बेसिस प्वाइंट घटाकर 6.50% से 6.25% फीसदी की थी. रेपो रेट वह रेट होता है, जिस पर RBI बैंकों को कर्ज देता है.
रिवर्स रेपो अब 5.75 प्रतिशत
इस बैठक में RBI ने रिवर्स रेपो रेट में भी कमी की है, जो अब 5.75% हो गया है. यह वह रेट है जिस पर बैंकों को RBI में जमा किए गए धन पर ब्याज मिलता है.
रेपो रेट कम होने से कैसे लोगों को होता है फायदा?
रेपो रेट के कम होने से बैंकों को RBI से कम व्याज पर कर्ज मिलता है. इस सस्ती लागत का लाभ कर्ज लेने वाले ग्राहकों को मिलता है. इससे बैंकों को घर, दुकान, पर्सनल और कार के लिये लोन कम दरों पर देने का मौका मिलता है. ग्राहकों के चल रहे लोन पर EMI का भी कम होता है.
जीडीपी वृद्धि का पूर्वानुमान
रिजर्व बैंक ने वित्त वर्ष 2019-20 के लिये GDP वृद्धि का पूर्वानुमान 7.4 प्रतिशत से घटाकर 7.2 प्रतिशत कर दिया है.
मुद्रास्फीति का अनुमान
रिजर्व बैंक ने वित्त वर्ष 2018-19 की चौथी तिमाही (जनवरी-मार्च) में खुदरा मुद्रास्फीति का संशोधित अनुमान घटाकर 2.40% कर दिया है. वित्त वर्ष 2019-20 की पहली छमाही (अप्रैल-सितम्बर) के लिये खुदरा मुद्रास्फीति का अनुमान 2.90% से 3% और वित्त वर्ष 2019-20 की दूसरी छमाही (अक्टूबर-मार्च) के लिये 3.50% से 3.80% कर दिया है.
वर्तमान दरें: एक दृष्टि
नीति रिपो दर | 5.75% |
प्रत्यावर्तनीय रिपो दर | 5.50% |
सीमांत स्थायी सुविधा दर | 6% |
बैंक दर | 6% |
CRR | 4% |
SLR | 19% |