तूफान ‘फोनी’

चक्रवात ‘फोनी’ भारतीय उपमहाद्वीप क्षेत्र में आया अब तक का सबसे भीषण तूफान है. इसका असर ओडिशा, पश्चिम बंगाल और आंध्र प्रदेश में पड़ा है. 1999 में ओडिशा में आए ‘सुपर साइक्लोन’ का दायरा पांच जिलों तक ही सीमित था. हालांकि उस वक्त पूर्वानुमान सटीक न होने के कारण जान-माल का भारी नुकसान हुआ था. जबकि इस बार तीन दिन पहले ही पूर्वानुमान लगाया गया था और तीनों राज्यों की सरकारों और केंद्र सरकार को सतर्क कर दिया गया था. इसके कारण जान-माल का नुकसान कम हुआ.

फोनी का नामकरण: फनी को बांग्लादेश में फोनी कहते हैं, जिसका अर्थ सांप होता है. उत्तरी हिंद महासागर से जुड़े ऊष्ण कटिबंधीय आठ देशों का समूह है, जिसमें भारत, मालद्वीप, श्रीलंका, ओमान, पाकिस्तान, बांग्लादेश, म्यांमार और थाईलैंड शामिल हैं. इन देशों ने आठ-आठ नाम दिए हुए हैं. इस क्षेत्र में जब भी तूफान आएगा नामकरण बारी-बारी से सदस्य देशों की तरफ से दिए नाम के अनुसार होगा. पिछले महीने आए गज तूफान का नाम श्रीलंका का था, जिसका अर्थ हाथी होता है. इसके बाद आने वाले तूफान का नाम वायु होगा जो भारत का होगा.

संयुक्त राष्ट्र ने चक्रवाती तूफान ‘फोनी’ से निपटने के लिए भारत की सराहना की

संयुक्त राष्ट्र के ऑफिस फॉर डिजास्टर रिस्क रिडक्शन (ODRR) ने चक्रवाती तूफान ‘फोनी’ से निपटने पर भारत की सराहना की है. ODRR के अनुसार, भारत सरकार की चक्रवातों के लिए जीरो कैजुअल्टी नीति और भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के सटीक पूर्व-चेतावनी तंत्र ने चक्रवात फोनी से जान-माल का नुकसान को कम करने में मदद की है. IMD द्वारा की गयी सटीक पूर्व-चेतावनियों से वे लगभग 11 लाख लोगों को सुरक्षित स्थानों पर 900 चक्रवाती शिविरों में पहुंचाने की व्यवस्थित योजना को पूरा कर सके.