सबमरीन रोधी युद्घक सतही जल पोत के लिए GRSE के साथ अनुबंध

रक्षा मंत्रालय ने भारतीय नौसेना के लिए आठ सबमरीन (पनडुब्बी) रोधी युद्घक सतही जल पोत (ASWSWC) बनाने के लिए गार्डन रिच शिप बिल्‍डर्स एंड इंजीनियर्स लिमिटेड (GRSE) के साथ अनुबंध किया है. यह अनुबंध 6,311.32 करोड़ रुपये का है. अनुबंध की तिथि से 42 महीने के अंदर पहला जहाज दिया जाएगा और बाकी जहाजों की डिलीवरी प्रति वर्ष दो जहाज के हिसाब से की जाएगी. परियोजना पूरी होने की अवधि आज से 84 महीने की होगी. GRSE में इन जहाजों का डिजाइन और निर्माण भारत सरकार की मेक-इन-इंडिया के तहत किया जायेगा.

ASWSWC की विशेषता

सतही जल में कार्य करने वाले सबमरीन रोधी जलपोत 750 टन भार के होंगे और इसकी गति 25 नॉट होगी. इसके अतिरिक्‍त इन जहाजों की क्षमता तटीय जल में सतही लक्ष्‍यों को भेदने की होगी. ये जहाज अत्‍यधुनिक होंगे और इनमें प्रोपल्‍सन मशीनरी, सहायक मशीनरी, विद्युत उत्‍पादन और वितरण मशीनरी तथा क्षति नियंत्रण मशीनरी शामिल होगी.

गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजिनियर्स (GRSE): एक दृष्टि

  • GRSE, सार्वजनिक क्षेत्र का एक रक्षा उपक्रम है. यह देश के लिए युद्धक जहाज बनाती है.
  • यह पश्चिम बंगाल के कलकत्ता में स्थित है. इसकी स्थापना 1884 में हुगली नदी के किनारे एक छोटी निजी कंपनी के रूप में हुई थी.
  • 1916 में इसका नाम बदलकर गार्डन रीच वर्कशॉप रखा गया था. वर्ष 1960 में सरकार द्वारा इसका राष्ट्रीयकरण किया गया.
  • GRSE, 100 युद्धपोत निर्मित करने वाला पहला भारतीय शिपयार्ड है. 100 युद्धपोतों में एडवांस्ड फ्रिजेट्स, एंटी-सबमरीन वॉरफेयरक कार्वेट से लेकर फ्लीट टैंकर तक शामिल है.
  • यह वर्तमान में P-17-A प्रोजेक्ट के तहत भारतीय नौसेना के लिए 3 स्टेल्थ फ्रिजेट्स का निर्माण कर रहा है.