ब्रह्मोस मिसाइल के ‘एयर लॉन्च वर्जन’ का परीक्षण
भारतीय वायुसेना ने 22 मई को सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस (BrahMos) के ‘एयर लॉन्च वर्जन’ का सफल परीक्षण किया. इस परीक्षण में ब्रह्मोस के लड़ाकू विमान (fighter aircraft) से छोड़े जाने वाले संस्करण का सफल परीक्षण किया. यह परीक्षण Su-30 MKI लड़ाकू विमान से किया गया. विमान से छोड़े जाने के बाद मिसाइल ने जमीन पर अपने लक्ष्य को सफलतापूर्वक नष्ट किया. ब्रह्मोस मिसाइल के उक्त संस्करण को रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने पूरी तरह स्वदेशी तरीके से विकसित किया है.
ब्रह्मोस मिसाइल दो चरणीय वाहन है. इसमें ठोस प्रोपेलेट बुस्टर तथा एक तरल प्रोपेलेट रैम जैम सिस्टम लगा हुआ है. यह मिसाइल अंडरग्राउंड परमाणु बंकरों, कमांड ऐंड कंट्रोल सेंटर्स और समुद्र के ऊपर उड़ रहे एयरक्राफ्ट्स को दूर से ही ध्वस्त करने में सक्षम है.
ब्रह्मोस मिसाईल: महत्वपूर्ण तथ्यों पर एक दृष्टि
- ब्रह्मोस एक कम दूरी की सुपरसॉनिक क्रूज मिसाइल है.
- 9 मीटर लंबी इस मिसाइल का वजन लगभग 3 टन है. यह मिसाइल ठोस ईंधन से संचालित होती है.
- यह दुनिया की सबसे तेज मिसाइल है. यह ध्वनि से 2.9 गुना तेज (करीब एक किलोमीटर प्रति सेकेंड) गति से 14 किलोमीटर की ऊँचाई तक जा सकता है.
- इस मिसाइल की मारक क्षमता 290 किलोमीटर है जिसे अब 400 किलोमीटर तक बढ़ाया जा सकता है.
- ब्रम्होस का विकास भारत के रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) और रूस के एनपीओ के संयुक्त उद्यम ने किया है.
- ब्रह्मोस के संस्करणों को भूमि, वायु, समुद्र और जल के अंदर से दागा जा सकता है.
- इसका पहला परीक्षण 12 जून 2001 को किया गया था.
- इस मिसाइल का नाम दो नदियों को मिलाकर रखा गया है जिसमें भारत की ब्रह्मपुत्र और रूस की मोस्क्वा नदी शामिल है.
- जमीन और नौवहन पोत से छोड़ी जा सकने बाली ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाईल पहले ही भारतीय सेना और नौसेना में शामिल की जा चुकी है. इस सफल परीक्षण के बाद ये मिसाइल सेना के तीनों अंगों का हिस्सा बन जायेगी.
सुखोई लड़ाकू विमान से गाइडेड बम छोड़ने का सफल परीक्षण
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने 24 मई को सुखोई लड़ाकू विमान (SU-30 MKI) से 500 किलोग्राम श्रेणी के एक गाइडेड बम छोड़ने का सफल परीक्षण किया. यह परीक्षण राजस्थान के पोकरण में किया गया. यह बम देश में ही विकसित किया गया है.