भारत फिर से आर्कटिक परिषद का पर्यवेक्षक बना

भारत को फिर से अंतर-सरकारी मंच आर्कटिक परिषद का पर्यवेक्षक चुना गया है. आर्कटिक परिषद विशेष रूप से सतत विकास और पर्यावरण संरक्षण जैसे मुद्दों को लेकर आर्कटिक देशों, क्षेत्र के स्वदेशी समुदायों और अन्य निवासियों के बीच सहयोग, समन्वय और बातचीत को बढ़ावा देती है.

भारत का चुनाव फिनलैंड के रोवानिएमी में आयोजित 11वीं आर्कटिक परिषद की मंत्रिस्तरीय बैठक में हुआ. इस बैठक में भारत का प्रतिनिधित्व पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव एम राजीवन ने किया था. बैठक में वहां नियुक्त राजदूत वाणी राव भी शामिल रहीं.

भारत आर्कटिक परिषद में और अधिक योगदान करने के लिए प्रतिबद्ध है. कनाडा, डेनमार्क, फिनलैंड, आइसलैंड, नॉर्वे, रूस, स्वीडन और अमेरिका, आर्कटिक परिषद के सदस्य हैं. भारतीय शोधकर्ताओं ने यह अध्ययन किया है कि क्या भारतीय मानसून और आर्कटिक क्षेत्र के बीच कोई सह-संबंध है.

आर्कटिक परिषद: एक दृष्टि
आर्कटिक परिषद आर्कटिक देशों के साथ साझा आर्कटिक मुद्दों पर सहयोग एवं समन्वय को बढ़ावा देता है. आर्कटिक परिषद की स्थापना 1996 में हुई थी. आर्कटिक परिषद के आठ सदस्य देश हैं. सदस्यों के अतिरिक्त इस परिषद के कुछ पर्यवेक्षक देश भी हैं. भारत को भी परिषद में पर्यवेक्षक का दर्जा प्राप्त है. भारत साल 2013 से इस परिषद में पर्यवेक्षक के तौर भाग लेता आ रहा है.