मसूद अजहर अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी घोषित

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) ने ‘जैश-ए-मोहम्मद’ (JEM) के सरगना मसूद अजहर को अन्तर्राष्ट्रीय आतंकवादी घोषित किये जाने के प्रस्ताव को पारित कर दिया. UNSC की 1267 अलकायदा प्रतिबंध समिति में यह प्रस्ताव फ्रांस, ब्रिटेन और अमेरिका द्वारा फरवरी 2019 में लाया गया था. मसूद अजहर को ‘काली सूची’ में डालने के इस प्रस्ताव पर चीन द्वारा अपनी रोक (वीटो) हटा लेने के बाद यह पारित हो सका.

पुलवामा हमले के बाद भारत ने विश्व समुदाय से मसूद अज़हर को अन्तर्राष्ट्रीय आतंकी घोषित करने की मांग की थी. जैश-ए-मोहम्मद ने इस आतंकी हमले की जिम्मेदारी ली थी. भारत के अनुरोध के बाद ही संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में इस प्रस्ताव को रखा गया था.

UNSC 1267 प्रतिबंध समिति क्या है?

संयुक्त राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की 1267 प्रतिबंध समिति में किसी आतंकी संगठन या आतंकी के सूचीबद्ध किए जाने के लिए नियम तय किये गये हैं. इसी समिति द्वारा अल-कायदा और ISIS जैसे आतंकी संगठनों को भी प्रतिबंधित किया गया है.

चौथे प्रस्ताव में मिली सफलता

मसूद अजहर को नियंत्रण आतंकवादी घोषित कराने के लिए पिछले 10 साल में संयुक्त राष्ट्र में लाया गया यह चौथा प्रस्ताव था. सबसे पहले 2009 में भारत ने प्रस्ताव लाया था. फिर 2016 में भारत ने अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस के साथ मिलकर संयुक्त राष्ट्र की 1267 अलकायदा प्रतिबंध समिति के समक्ष दूसरी बार प्रस्ताव रखा. इन्हीं देशों के समर्थन के साथ भारत ने 2017 में तीसरी बार यह प्रस्ताव लाया. हालांकि इससे पहले के तीनों मौकों पर चीन ने इस प्रस्ताव पर वीटो लगाकर अस्वीकार कर दिया था.

जैश-ए-मोहम्मद’ (JEM) क्या है?

जैश-ए-मोहम्मद पाकिस्तान स्थित और पोषित एक आतंकवादी संगठन है. यह संगठन पठानकोट हमले और जम्मू कश्मीर के पुलवामा सहित कई आतंकवादी हमले के लिए जिम्मेदार रहा है. वर्ष 2001 में इसी आतंकी संगठन ने भारत की संसद पर हमला किया था. इसके उपरांत वर्ष 2008 में मुंबई में आतंकी हमलों को अंजाम दिया.

मसूद अजहर JEM का सरगना है. उसे भारत सरकार द्वारा श्रीनगर से 1994 में आतंकी संगठन हरकत-उल-अंसार के लिए संदिग्ध गतिविधियों के कारण गिरफ्तार किया गया था. हालांकि वर्ष 1999 में उसे कंधार विमान अपरहण घटना के बाद छोड़ना पड़ा था.

संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंध का असर

संयुक्त राष्ट्र द्वारा अजहर को आतंकी घोषित किए जाने के बाद अब उसकी संपत्ति जब्त हो सकेगी और उस पर यात्रा प्रतिबंध तथा हथियार संबंधी प्रतिबंध लग सकेगा.

वीटो क्या है?

वीटो (veto) का शाब्दिक अर्थ है- ‘मैं अनुमति नहीं देता हूं’. मौजूदा समय में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्यों चीन, फ्रांस, रूस, यूके और अमेरिका के पास वीटो पावर है. स्थायी सदस्यों के फैसले से अगर कोई भी सदस्य सहमत नहीं है तो वह वीटो पावर का इस्तेमाल करके उस फैसले को रोक सकता है.