ओमान की लेखिका जोखा अल्हार्थी को मैन बुकर अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार 2019
ओमान की लेखिका जोखा अल्हार्थी को उनकी किताब ‘कैलेस्टियल बॉडीज’ के लिए प्रतिष्ठित मैन बुकर अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. जोखा अरबी भाषा की पहली लेखिका हैं जिन्हें यह पुरस्कार प्रदान किया गया है. वह पुरस्कार के रूप में मिली 50,000 पाउंड की राशि को ब्रिटेन की अनुवादक मैरीलिन बूथ के साथ साझा करेंगी.
कैलेस्टियल बॉडीज: कैलेस्टियल बॉडीज की कहानी तीन बहनों और एक मरुस्थली देश की है जो दासता के अपने इतिहास से उबर कर जटिल आधुनिक विश्व के साथ तालमेल करने की जद्दो-जहद करता है.
बुकर पुरस्कार: एक दृष्टि
- बुकर पुरस्कार के पूरा नाम ‘मैन बुकर पुरस्कार फ़ॉर फ़िक्शन’ (Man Booker Prize for Fiction) है.
- बुकर पुरस्कार की स्थापना सन् 1969 में इंगलैंड की बुकर मैकोनल कंपनी द्वारा की गई थी.
- यह पुरस्कार राष्ट्रमंडल (कॉमनवैल्थ) या आयरलैंड के नागरिक द्वारा लिखे गए मौलिक अंग्रेजी उपन्यास के लिए हर वर्ष दिया जाता है.
- बुकर पुरस्कार विजेता को 60 हज़ार पाउण्ड की राशि विजेता लेखक को दी जाती है.
- पहला बुकर पुरस्कार इंगलैंड के उपन्यासकार पी एच नेवई (P. H. Newby) को ‘Something to Answer For’ के लिए दिया गया था.
बुकर पुरस्कार पाने वाले भारतीय: एक दृष्टि
कुल 5 बार यह पुरस्कार भारतीय मूल के लेखकों को मिला है. ये लेखक हैं- वी एस नाइपॉल, अरुंधति राय, सलमान रश्दी, किरण देसाई और अरविन्द अडिग.
लेखक | उपन्यास | वर्ष |
1. वी एस नाइपॉल | इन ए फ़्री स्टेट | 1971 |
2. सलमान रश्दी | मिडनाइट्स चिल्ड्रेन | 1981 |
3. अरुंधति राय | द गॉड ऑफ़ स्माल थिंग्स | 1997 |
4. किरण देसाई | द इनहैरिटैंस ऑफ लॉस | 2006 |
5. अरविन्द अडिग | द व्हाइट टाइगर | 2008 |