स्कॉर्पीन क्लास की ‘INS वेला’ सेना में शामिल

भारतीय नौसेना ने 6 मई 2019 को मजगांव डॉक लिमिटेड (MDL) में चौथी स्कॉर्पीन क्लास पनडुब्बी (सबमरीन) INS वेला को सेना में शामिल किया. प्रोजेक्ट-75 के तहत भारत छह पनडुब्बी तैयार करने पर काम कर रहा है. इस प्रोजेक्ट के तहत सबमरीन ‘INS कलवरी’ दिसंबर 2018 में, ‘INS खंडेरी’ जनवरी 2017 में और ‘INS करंज’ जनवरी 2018 में पहले ही भारतीय नौसेना में शामिल हो चुकी हैं. इस प्रोजेक्ट के बांकी बचे दो सबमरीन ‘INS वागीर’ और ‘INS वागशीर’ को भी जल्द ही सेना में शामिल कर लिया जायेगा.

भारत के स्कॉर्पीन क्लास सबमरीन प्रॉजेक्ट: एक दृष्टि

भारत के स्कॉर्पीन क्लास सबमरीन प्रॉजेक्ट के अंतर्गत मुंबई स्थित मझगांव डॉक शिप बिल्डर्स लिमिटेड और फ्रांस की कंपनी नेवल ग्रुप (DCNS) 6 सबमरीन तैयार कर रहे हैं.
दोनों कंपनियों के बीच इन सबमरीन तैयार करने लिए 2005 में समझौता हुआ था. इसके तहत सभी सबमरीन मुंबई में ही तैयार की जा रही हैं.

स्कॉर्पीन क्लास सबमरीन की विशेषता

स्कॉर्पीन श्रेणी की पनडुब्बियां डीजल-इलेक्ट्रिक से चलने वाली पनडुब्बियों का एक वर्ग है. इन 6 पनडुब्बियों के शामिल होने से नौसेना की ताकत काफी बढ़ जाएगी. यह सभी स्कॉर्पीन सबमरीन एंटी-सरफेस वॉरफेयर, एंटी-सबमरीन वॉरफेयर, खुफिया जानकारी जुटाना, माइन बिछाने और एरिया सर्विलांस आदि का काम कर सकती हैं.

INS वेला: एक दृष्टि

  • ‘INS वेला’ एक स्वदेशी पनडुब्बी है, जो ‘मेक इन इंडिया’ के तहत तैयार की गई है. अपने आधुनिक फीचर्स की वजह से यह दुश्मन को ढूंढकर उस पर सटीक निशाना लगा सकती है.
  • यह स्टेल्थ और एयर इंडिपेंडेंट प्रॉपल्शन समेत कई तरह की तकनीकों से लैस है. जिससे इसका पता लगाना दुश्मनों के लिए आसान नहीं होगा.
  • INS वेला टॉरपीडो और ट्यूब लॉन्च्ड एंटी-शिप मिसाइल से हमला करने में सक्षम है.
  • युद्ध की स्थिति में वेला पनडुब्बी हर तरह की अड़चनों से सुरक्षित और बड़ी आसानी से दुश्मनों को चकमा देकर बाहर निकल सकती है.
  • वेला की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह किसी भी रडार की पकड़ में नहीं आएगी. इसके अलावा इससे जमीन पर भी आसानी से हमला किया जा सकता है.