29 जुलाई: अन्तर्राष्ट्रीय बाघ दिवस से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी

प्रत्येक वर्ष 29 जुलाई को अन्तर्राष्ट्रीय बाघ दिवस (International Tiger Day) मनाया जाता है. यह बाघ और उनके प्राकृतिक परिवास के सरंक्षण के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए मनाया जाता है. साल 2010 में रूस के सेंट पीटर्सबर्ग में एक सम्मेलन में प्रत्येक वर्ष बाघ दिवस मनाने का फैसला लिया गया था. इस सम्मेलन में बाघों को लुप्तप्राय प्रजाति करार दिया था. उस समय 2022 तक बाघ की आबादी को दोगुना करने का भी लक्ष्य रखा गया था.

प्रधानमंत्री ने ‘अखिल भारतीय बाघ अनुमान 2018’ की रिपोर्ट पेश की

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 29 जुलाई, 2019 को अखिल भारतीय बाघ अनुमान 2018 की रिपोर्ट पेश की. इस रिपोर्ट के अनुसार भारत में 2018 में हुई बाघों की जनगणना के समय बाघों की संख्या 2,967 हो गई है.

रिपोर्ट के अनुसार मध्‍य प्रदेश ने देश के बाघ-बहुल राज्‍य का दर्जा बरकरार रखा है.वर्ष 2011 में मध्‍यप्रदेश में बाघों की संख्‍या कम हो जाने के कारण उससे यह दर्जा छिन गया था और यह कर्नाटक को हासिल हुआ था.

यह अखिल भारतीय बाघ अनुमान के चौथे चक्र का परिणाम था. इससे पहले के तीन चक्र के परिणाम क्रमशः 2006, 2010 और 2014 में जारी किये गया थे. इस अनुमानों में अनुसार वर्ष 2006 में बाघों की संख्या 1,411 थी, जो 2010 में 1,706, 2014 में 2,226 और 2018 में 2,967 हो गई है.

भारत में बाघों की स्थिति: मुख्य तथ्य

  • भारत सरकार ने देश में बाघों को विलुप्त होने से बचाने के लिए 1973 में प्रॉजेक्ट टाइगर शुरू किया था.
    1973-74 में जहां 9 टाइगर रिजर्व्स थे अब इसकी संख्या बढ़कर 50 हो गई है.
  • पर्यवारण मंत्रालय ने 2005 में नैशनल टाइगर कन्जर्वेशन अथॉरिटी (NTCA) का गठन किया था. प्रॉजेक्ट टाइगर के क्रियान्वयन की जिम्मेदारी NTCA सौंपी गई.
  • भारत में बाघों की जनसंख्या का 80 फीसदी रॉयल बंगाल टाइगर है.
  • देश के करीब 3000 बाघ में से 1700 बंगाल टाइगर्स हैं.
  • बाघ भारत और बांग्लादेश दोनों का राष्ट्रीय पशु है.
  • वर्ल्ड वाइल्ड-लाइफ फंड ऐंड ग्लोबल टाइगर फॉर्म के आंकड़ों के मुताबिक, दुनिया के 70 फीसदी बाघ भारत में रहते हैं.