दीपक पूनिया ने जूनियर विश्व चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रचा
पहलवान दीपक पूनिया ने 14 अगस्त को जूनियर वर्ल्ड चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रच दिया. उन्होंने एस्तोनिया में रूस के एलिक शेबजुखोव को हराकर यह पदक जीता. 86 किलोग्राम फ्रीस्टाइल कुश्ती स्पर्धा में उन्होंने यह खिताब जीता. 2018 में उन्होंने इस स्पर्धा में रजत पदक जीता था.
दीपक पूनिया 18 साल में इस चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतने वाले पहले भारतीय पहलवान है. इससे पहले 2001 में रमेश कुमार (69 किलो) और पलविंदर सिंह चीमा (130 किलो) ने जूनियर विश्व चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता था.
पूनिया ने इस जीत के साथ ही सीनियर विश्व चैंपियनशिप टीम में भी जगह बना ली है. यह प्रतियोगिता कजाखस्तान में 14 से 22 सितंबर तक होगा. यह 2020 तोक्यो ओलिंपिक के लिए क्वॉलिफायर भी होगा.
ब्रिक्स देशों के पर्यावरण मंत्रियों की पांचवीं बैठक ब्राजील में आयोजित की गयी
ब्रिक्स देशों के पर्यावरण मंत्रियों की पांचवीं बैठक 14-16 अगस्त को ब्राजील के साओ पावलो में आयोजित की गयी. इस बैठक में सभी सदस्य देशों – ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका ने हिस्सा लिया. पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने इस बैठक में भारत का प्रतिनिधित्व किया.
ब्रिक्स देशों ने शहरों में जीवन की गुणवत्ता में सुधार के लिए शहरी पर्यावरण प्रबंधन के महत्व पर जोर दिया है. इन देशों ने अपने-अपने शहरों की पर्यावरण संबंधी तमाम समस्याओं को हल करने के लिए मिलकर काम करने की सहमति व्यक्त की है.
भारतीय अन्तरिक्ष अनुसंधान संगठन के अध्यक्ष के सिवन को ‘कलाम पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया
तमिलनाडु सरकार ने के सिवन को 15 अगस्त को ‘डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम पुरस्कार’ (Dr APJ Abdul Kalam Award) से सम्मानित किया गया. सिवन भारतीय अन्तरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के वर्तमान अध्यक्ष हैं. विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने में उत्कृष्ट योगदान के लिये उन्हें यह पुरस्कार दिया गया है.
के सिवन के पूरा नाम कैलासवादिवु सिवन है. उन्होंने हाल ही में ‘चन्द्रयान-2’ मिशन के सफल प्रक्षेपण का नेतृत्व किया था.
कलाम पुरस्कार: एक दृष्टि
- कलाम पुरस्कार तमिलनाडु सरकार द्वारा तमिलनाडु के निवासियों को दिया जाता है.
- 2015 में डॉ. अब्दुल कलाम के निधन के बाद तमिलनाडु की तत्कालीन मुख्यमंत्री जे. जयललिता ने पुरस्कार की घोषणा की थी.
- पहला कलाम पुरस्कार इसरो के वैज्ञानिक एन वालारमति को 2015 में प्रदान किया गया था.
- इस पुरस्कार से उन लोगों को सम्मानित किया जाता है जो वैज्ञानिक विकास, मानविकी और छात्रों के कल्याण को बढ़ावा देने के लिए काम करते हैं.
- पुरस्कार में आठ ग्राम का स्वर्ण पद और पांच लाख रुपये नकद दिया जाता है.