ओकजोकुल ग्लेशियर जलवायु परिवर्तन के कारण अपनी पहचान खोने वाला पहला ग्लेशियर बना

वैज्ञानिकों ने आइसलैंड के ‘ओकजोकुल’ ग्लेशियर का दर्जा आधिकारिक तौर पर समाप्त कर दिया गया है. यह विश्व में जलवायु परिवर्तन के कारण अपनी पहचान खोने वाला यह पहला ग्लेशियर होगा.

वैज्ञानिकों ने अगले 200 साल में विश्व के सभी प्रमुख ग्लेशियर का हश्र ऐसा ही होने की आशंका जताई जा रही है. इंटरनैशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर का अनुमान है कि अगर ग्रीनहाउस गैस का उत्सर्जन इसी रफ्तार से होता रहा तो 2100 तक विश्व के आधे से अधिक ग्लेशियर पिघल जाएंगे.

ग्लेशियर ओकजोकुल को श्रद्धांजलि
आइसलैंड में 18 अगस्त को प्रधानमंत्री केटरिन जोकोबस्दोतियर के नेतृत्व में मंत्रियों के समूह ने ग्लेशियर ओकजोकुल को श्रद्धांजलि दी. ग्लेशियर के शोक में कांस्य पट्टिका का अनावरण किया गया जिसमें इसकी वर्तमान स्थिति बयान करने के साथ ही बाकी ग्लेशियर के भविष्य को लेकर आगाह किया गया है. इस पट्टिका पर “A letter to the future” लिखा गया.

ओकजोकुल आइसलैंड: एक दृष्टि
ओकजोकुल आइसलैंड के पश्चिमी सब-आर्कटिक हिस्से में ओक ज्वालामुखी पर स्थित था. पिछले कुछ वर्षों से लगातार यह ग्लेशियर पिघल रहा था और इसके खत्म होने की आशंका जताई जा रही थी. वैज्ञानिकों की एक टीम ने भविष्य में आइसलैंड के 400 ग्लेशियर के इसी तरह खत्म होने को लेकर चेतावनी जारी की है. हर साल आइसलैंड में करीब 11 बिलियन टन बर्फ पिघल रही है.