राष्ट्रपति ने जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन विधेयक को मंजूरी दी: 31 अक्टूबर से अस्तित्व में आएँगे

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 9 अगस्त को जम्मू-कश्मीर के पुनर्गठन कानून को मंजूरी दे दी. इसके तहत दो केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और लद्दाख का गठन किया गया है. देश के पहले गृह मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती यानि 31 अक्टूबर को ये दोनों प्रदेश अस्तित्व में आयेंगे. सरदार पटेल ने आजादी के बाद 565 रियासतों का भारत गणराज्य में विलय कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 के कुछ प्रावधानों को हटाए जाने के बाद इस राज्य का पुनर्गठन कर दोनों केंद्र शासित प्रदेश बनाये गये हैं.

जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन विधेयक, 2019: एक दृष्टि

  • भारतीय संसद के दोनों सदनों ने राज्य को विभाजित करने के लिए लाए गए ‘जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन विधेयक, 2019’ को हाल ही में मंजूरी प्रदान की थी.
  • इस विधेयक के अनुसार जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश की अपनी विधानसभा (विधायिका) होगी और लद्दाख विधानसभा के बिना केंद्र शासित प्रदेश होगा.
  • इन दोनों केंद्र शासित प्रदेशों में कानून एवं व्यवस्था की जिम्मेदारी केंद्र के पास होगी.
  • केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में उप-राज्यपाल होंगे और इसकी विधानसभा की सदस्य संख्या 107 होगी जिसे सीमांकन (परिसीमन) के बाद 114 तक बढ़ाया जाएगा.
  • जम्मू-कश्मीर विधानसभा की 24 सीटें रिक्त रहेंगी क्योंकि ये सीटें पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (POK) में हैं.
  • जम्मू-कश्मीर विधानसभा में इस समय 87 सीटें है जिनमें से चार सीट लद्दाख क्षेत्र में आती है.
  • केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में करगिल और लेह जिले होंगे.