मालाबार सैन्य अभ्यास का 23वां संस्करण: भारत, जापान और अमेरिकी नौसेना शामिल

‘मालाबार सैन्य-अभ्यास’ (Malabar Trilateral Maritime Exercise) का 23वां संस्करण 26 सितम्बर से 4 अक्टूबर 2019 तक जापान के ससेबो शहर के समीप पश्चिमी प्रशांत महासागर में आयोजित किया गया. पूर्वी चीन सागर के समीप इस सैन्य अभ्यास में भारत, जापान और अमेरिकी नौसेना शामिल हुए.

23वां मालाबार सैन्य अभ्यास: एक दृष्टि
इस अभ्यास में सतह, उप-सतह और वायु क्षेत्रों में जटिल सामुद्रिक ऑपरेशन शामिल हुए तथा पनडुब्बी-रोधी युद्ध, विमान-रोधी और पनडुब्बी-रोधी फायरिंग, मैरीटाइम इन्टर्डिक्शन ऑपरेशन्स (एमआईओ) पर ध्यान केंद्रित किया गया.

भारत की ओर से इस अभ्यास में 6100 टन वजनी INS सहयाद्रि, पनडुब्बी विध्वंसक INS किल्टन और पी8आई मैरीटाइम पेट्रोल एयरक्राफ्ट हिस्सा ले रहे हैं. यह पहला मौका है जब जापान में भारत का P8I एयरक्राफ्ट पहुंचा था.

चीन की आपत्ति
चीन पहले से ही समुद्र के इस हिस्से को अपना जलक्षेत्र मानता है और किसी भी प्रकार की सैन्य गतिविधि को सीधा अपनी संप्रभुता का उल्लंघन समझता है. चीन मानता है कि मालाबार अभ्यास के तहत तीन देश उसके खिलाफ सैन्य लामबंदी कर रहे हैं.

वहीं इस अभ्यास के जरिये भारतीय नौसेना यह सामरिक संदेश देने की कोशिश करेगी कि वह केवल हिंद महासागर के इलाके तक ही अपने को सीमित नहीं रखना चाहती है बल्कि दक्षिण चीन सागर के पार प्रशांत महासागर तक पहुंचने की भी उसकी क्षमता है.

युद्धाभ्यास के उद्देश्य

  • इस तरह के क्षेत्रों में युद्धाभ्यास करने से नौसेना को प्रायोगिक तौर पर लड़ाई में आने वाली दिक्कतों का अंदाजा हो पाता है. ‘रियल टाइम अटैक स्ट्रैटजी’ में भी नौसेना को फायदा होता है.
  • नौ-सैनिकों को वास्तविक अनुभव मिलता है जिसका फायदा वो युद्ध की स्थिति में उठा पाते हैं, साथ ही नौसेना को वैश्विक स्तर पर भी खुद की स्थिति का पता चलता है.
  • इस तरह की युद्धाभ्यास का लक्ष्य कई बार शक्ति प्रदर्शन भी होता है. ऐसा कर एक देश दूसरे देश को ताकत का अहसास करा कर डर पैदा करना चाहता है.