मरूस्थलीकरण रोकने के लिए UNCCD में शामिल देशों का 14वां सम्मेलन आयोजित किया गया
मरूस्थलीकरण रोकने के लिए संयुक्त राष्ट्र संधि में शामिल देशों की संस्था (United Nations Convention to Combat Desertification- UNCCD) का 14वां सम्मेलन (कांफ्रेंस ऑफ पार्टीज़ COP-14) भारत की मेजवानी में आयोजित किया गया. इस सम्मेलन में 190 से अधिक देशों के तीन हजार से ज्यादा प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया. पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावडेकर और UN-CCD के कार्यकारी सचिव इब्राहिम थियोग ने संयुक्त रूप से 2 सितम्बर को इस सम्मेलन का उद्घाटन किया था.
COP-14 के समापन पर दिल्ली घोषणा पत्र स्वीकार किया गया. सभी देशों ने मानव स्वास्थ्य में सुधार, समृद्धि, पारिस्थितिकी संरक्षण और शांति तथा सुरक्षा के लिए नई पहल करने पर सहमति व्यक्त की.
भारत दो वर्ष के लिए इस संगठन का मेजबान और अध्यक्ष
यह सम्मेलन उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोयडा में 2 सितम्बर से 13 सितम्बर तक 2019 तक आयोजित किया गया. भारत के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर इस सम्मेलन के अध्यक्ष थे. भारत दो वर्ष के लिए इस संगठन का मेजबान और अध्यक्ष है. भारत ने इस संगठन की अध्यक्षता चीन से ग्रहण की है.
COP-14 के उद्देश्य
COP-14 सम्मेलन का उद्देश्य सतत भूमि प्रबंधन, मरूस्थलीकरण को रोकना, जमीन के क्षरण को रोककर उसकी उर्वरता की बहाली तथा रेतीली और धूलभरी आंधियों से निपटने जैसी समस्याओं और उनके निदान पर विचार करना है. इससे संयुक्त राष्ट्र के 2030 तक सतत विकास लक्ष्यों (SDG) को हासिल करने में आसानी होगी. इसका आयोजन 1992 के रिओ सम्मेलन में व्यक्त चिन्ताओं के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाता है.
सरकार का लक्ष्य 2030 तक दो करोड़ 60 लाख हैक्टेयर बंजर भूमि को उपजाऊ भूमि में परिवर्तर्तित करना
भारत सरकार का लक्ष्य 2030 तक दो करोड़ 60 लाख हैक्टेयर बंजर भूमि को उपजाऊ भूमि में परिवर्तर्तित करना है. इसके लिए देहरादून के वन अनुसंधान संस्थान में एक केन्द्र स्थापित किया जायेगा. क्षेत्रफल के लिहाज से भारत विश्व का 7वां सबसे बड़ा देश है और विश्व के कुल वनक्षेत्र का 24 प्रतिशत भारत में हैं.
UNCCD क्या है?
UNCCD भूमि के बंजर होने की स्थिति की रोकथाम से संबंधित संयुक्त राष्ट्र की संस्था है. इसकी स्थापना 1994 में की गयी थी. इसके COP सत्र (कांफ्रेंस ऑफ़ पार्टीज) का आयोजन प्रत्येक दो वर्ष में किया जाता है. पहला COP का आयोजन 1997 में इटली के रोम में किया गया था.
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने COP-14 को सम्बोधित किया
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 9 सितम्बर को ग्रेटर नोएडा में मरूस्थलीकरण रोकने के बारे में संयुक्त राष्ट्र संधि में शामिल देशों के 14वें सम्मेलन (COP-14) को सम्बोधित किया.
प्रधानमंत्री के सम्बोधन के मुख्य बिंदु:
- भारत ने 2030 तक दो करोड़ 60 लाख हैक्टेयर बंजर भूमि को खेती योग्य बनाने का लक्ष्य रखा है.
- श्री मोदी ने प्रस्ताव रखा कि जलवायु परिवर्तन, जैव विविधता और भूमि का बंजर होना जैसी समस्याओं से निपटने के लिए दक्षिण-दक्षिण सहयोग और बढ़ाने की पहल की जाये.
- उन्होंने संधि में शामिल देशों के नेताओं से वैश्विक जल कार्रवाई एजेंडा बनाने का आग्रह किया ताकि जमीन को बंजर होने से रोका जा सके.
- प्रधानमंत्री ने कहा कि समग्र भूमि और जल नीति के अन्तर्गत जल आपूर्ति बढ़ाना और जमीन में नमी को रोके रखना जैसे उपाय शामिल हैं.
- श्री मोदी ने कहा कि उपग्रह और अंतरिक्ष टैक्नोलोजी के जरिये जमीन को फिर खेती योग्य बनाने के कम लागत वाले कार्यक्रमों में भारत मित्र देशों की सहायता करेगा.
- प्रधानमंत्री ने कहा कि विश्व के दो-तिहाई से ज्यादा देश मरूस्थलीकरण की समस्या से प्रभावित हैं. उन्होंने कहा कि बंजर भूमि के साथ-साथ हमें पानी की कमी की समस्या पर भी ध्यान देना होगा.
- प्रधानमंत्री ने सिंगल यूज़ प्लास्टिक पर रोक लगाने का अपना अनुरोध दोहराते हुए कहा कि प्लास्टिक स्वास्थ्य पर बुरे प्रभाव तो डालता ही है, साथ ही जमीन को भी खेती के लायक नहीं रहने देता.
COP-14 सम्मेलन: मुख्य बिंदु
- संयुक्त राष्ट्र उप महासचिव अमीना जे मोहम्मद ने 2030 तक बंजर जमीन को खेती योग्य बनाने का लक्ष्य प्राप्त करने की आवश्यकता पर बल दिया.
- सेंट विंसेंट और ग्रेनाडाइंस के प्रधानमंत्री डॉक्टर राल्फ गोंज़ाल्वेज़ ने पर्यावरण के क्षेत्र में भारत सरकार और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रयासों की सराहना की.
- मरूस्थलीकरण रोकने के बारे में संयुक्त राष्ट्र संधि कॉप-14 के कार्यकारी सचिव इब्राहिम थिआव ने विश्वास व्यक्त किया कि यदि सभी देश असमानता और असुरक्षा की भावना छोड़कर सहयोग करें तो जीवन के लिए भूमि का स्थायी विकास लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है.