जापान के नए सम्राट नारूहितो ने औपचारिक तौर पर जापान का सिंहासन संभाला

जापान के नए सम्राट नारूहितो ने 22 अक्टूबर को तोक्‍यो में एक भव्‍य समारोह में औपचारिक तौर पर जापान का सिंहासन संभाला. 59 वर्षीय सम्राट ने अपने पिता तथा तत्‍कालीन सम्राट अकिहितो के गद्दी त्‍यागने के बाद मई 2019 में ही आधिकारिक रूप से कार्य संभाल लिया था. जापान की यात्रा पर गये राष्‍ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सम्राट नारूहितो के राज्‍याभिषेक समारोह में शामिल हुए.

जापान के सम्राट अकिहितो ने अपनी मर्जी से गद्दी छोड़ी थी

जापान के 85 वर्षीय सम्राट अकिहितो ने 30 अप्रैल 2019 को अपने पद को त्याग दिया था. अकिहितो पिछले तीन दशक से सम्राट के पद पर बने हुए थे. जापान के शाही घराने में पिछले 200 वर्षों में यह पहला अवसर था, जब सम्राट अपनी मर्जी से गद्दी छोड़ी. वर्ष 2017 में जापान की संसद ने इस संबंध में एक कानून बनाकर उन्हें गद्दी छोड़ने की अनुमति दी थी.

सम्राट अकिहितो जापान के 125वें सम्राट थे

अकिहितो जापान के 125वें सम्राट थे. सम्राट के रूप में उनका कार्यकाल 7 जनवरी, 1989 से 30 अप्रैल, 2019 तक रहा. उन्होंने अपने पिता हिरोहितो (शोवा) के निधन के बाद सम्राट का पद संभाला था.

अकिहितो के बेटे युवराज नारूहितो 126वें सम्राट बने

सम्राट अकिहितो के गद्दी छोड़ने के बाद उनके 59 वर्षीय बेटे युवराज नारोहितो को 1 मई को वारिस घोषित किया गया था. सम्राट अकिहितो ने ‘क्राइसैंथिमम थ्रोन’ (राजगद्दी) अपने बेटे नारूहितो को सौंपी थी. नारुहितो जापान के 126वें सम्राट हैं.

नारूहितो के भाई राजकुमार फ़ुमिहितो होंगे अगले वारिस

नारोहितो को सिर्फ़ एक बेटी है जिनका नाम प्रिंसेज़ आइको है और वो 18 साल की हैं. लेकिन जापान के मौजूदा क़ानून के तहत महिलाओं को राजगद्दी नहीं मिलती है इसलिए वो जापान की अगली वारिस नहीं हैं. इसलिए नए सम्राट नारोहितो के भाई राजकुमार फ़ुमिहितो अगले वारिस हैं.

‘हेइसेइ’ काल समापन और ‘रेइवा’ काल का आरम्भ

जापान में जब कोई राजा अपनी गद्दी छोड़ते हैं तो एक युग का अंत हो जाता है और नए राजा के बनने के साथ ही एक नया युग शुरू होता है. अकिहितो के पदत्याग के साथ ही ‘हेइसेइ’ काल का भी समापन हो गया. इस काल का आरम्भ 8 जनवरी, 1989 को हुआ था. नारूहितो के पदग्रहण के बाद ‘रेइवा’ नामक नए काल का आरम्भ हुआ है.

जापान के राजा के पास कोई राजनीतिक शक्ति नहीं

जापान में यूं तो राजा के पास कोई राजनीतिक शक्ति नहीं होती, लेकिन उन्‍हें राष्ट्रीय प्रतीक के तौर पर बेहद सम्मान से देखा जाता है. जापान के सम्राट को भगवान समझा जाता था लेकिन अकिहितो के पिता सम्राट हिरोहितो ने दूसरे विश्व युद्ध में जापान की हार के बाद सार्वजनिक तौर पर कहा था कि उनके पास कोई दैवी शक्ति नहीं है.