ब्रिटेन के कोर्ट ने हैदराबाद के निजाम के फंड को लेकर एक मामले में भारत के पक्ष में फैसला सुनाया
ब्रिटेन के एक हाई कोर्ट ने हैदराबाद के निजाम के फंड को लेकर दशकों से चल रहे मामले में भारत के पक्ष में फैसला सुनाया है. भारत विभाजन के दौरान निजाम की लंदन के एक बैंक में जमा रकम को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच मुकदमा चल रहा था.
लंदन के रॉयल कोर्ट ऑफ जस्टिस के जज मार्कस स्मिथ ने 2 अक्टूबर को अपने फैसले में कहा कि हैदराबाद के 7वें निजाम उस्मान अली खान इस फंड के मालिक थे और फिर उनके बाद उनके वंशज और भारत, इस फंड के दावेदार हैं. निजाम के वंशज प्रिंस मुकर्रम जाह और उनके छोटे भाई मुफ्फखम जाह इस मुकदमे में भारत सरकार के साथ थे.
क्या है मामला?
देश के विभाजन के दौरान 1948 में हैदराबाद के तत्कालीन 7वें निजाम मीर उस्मान अली खान ने लंदन स्थित नेटवेस्ट बैंक में 1,007,940 पाउंड (करीब 8 करोड़ 87 लाख रुपये) जमा कराए थे. निजाम ने यह राशि ब्रिटेन में पाकिस्तान के उच्चायुक्त को ये रकम भेजी थी. अब यह राशि बढ़कर करीब 35 मिलियन पाउंड (करीब 3 अरब 8 करोड़ 40 लाख रुपये) हो चुकी है.
इस भारी रकम पर दोनों ही देश अपना हक जता रहे थे. भारत का समर्थन करने वाले निजाम के वंशज इस रकम पर अपना हक जताते हैं. दोनों देशों की बीच यह विवाद 1948 से ही चला आ रहा था.
सरकार ने सुरजीत एस भल्ला को आईएमएफ में कार्यकारी निदेशक नियुक्त किया
सरकार ने अर्थशास्त्री सुरजीत एस भल्ला को अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष में भारत की ओर से कार्यकारी निदेशक नियुक्त किया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में 1 अक्टूबर को मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति ने उनकी नियुक्ति को मंजूरी दी. उनकी नियुक्ति कार्यभार संभालने की तारीख से तीन साल के लिए की गयी है.
प्रतिष्ठित अर्थशास्त्री और स्तंभकार सुरजीत भल्ला प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार परिषद के अंशकालिक सदस्य रह चुके हैं. उन्होंने दिसंबर 2018 में अपने पद से इस्तीफा दे दिया था.
2 अक्टूबर 2019: लाल बहादुर शास्त्री की 115वीं जयंती
2 अक्टूबर 2019 को लाल बहादुर शास्त्री की 115वीं जयंती पर देश भर में श्रद्धांजलि दी गयी. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राजधानी दिल्ली में विजय घाट जाकर लाल बहादुर शास्त्री की समाधि पर उन्हें श्रद्धाजंलि अर्पित की.
लाल बहादुर शास्त्री: महत्वपूर्ण तथ्य
- शास्त्री का जन्म उत्तर प्रदेश के वाराणासी में 2 अक्टूबर 1904 को शारदा प्रसाद और रामदुलारी देवी के घर हुआ था. उन्होंने 11 जनवरी, 1966 को उज्बेकिस्तान के ताशकंद में अंतिम सांस ली थी. उन्हें 1966 में मरणोपरांत भारतरत्न से सम्मानित किया गया था. वह पहले व्यक्ति थे जिन्हें मरणोपरांत इस सम्मान से सम्मानित किया गया था.
- साल 1920 में शास्त्री जी भारत की आजादी की लड़ाई में शामिल हो गए थे. स्वाधीनता संग्राम के जिन आंदोलनों में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही उनमें 1921 का असहयोग आंदोलन, 1930 का दांडी मार्च और 1942 का भारत छोड़ो आंदोलन उल्लेखनीय हैं. शास्त्री जी ने 1965 के भारत-पाक युद्ध के दौरान देश को ‘जय जवान, जय किसान’ का नारा दिया था.
- स्वतंत्रता के बाद शास्त्री जी 9 जून, 1964 से 11 जनवरी, 1966 के बीच वे देश के दूसरे प्रधानमंत्री रहे. उन्हें पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की मृत्यु के देश का प्रधानमंत्री बनाया गया था. इससे पहले पंडित जवाहर लाल नेहरु की सरकार में वे 1951 से 1956 तक रेलवे मंत्री, 1961 से 1963 के बीच गृह मंत्री, 9 जून 1964 से 18 जुलाई 1964 के बीच विदेश मंत्री रहे थे.
- उनके कार्यकाल में 1965 का भारत-पाक युद्ध हुआ था. 10 जनवरी, 1966 को ताशकंद को उन्होंने पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब ख़ान के साथ युद्ध समाप्त करने के समझौते पर हस्ताक्षर किया था. उसके अगले दिन ही ताशकन्द में 11 जनवरी 1966 की रात में ही रहस्यमय परिस्थितियों में उनकी मृत्यु हो गयी. उनकी मृत्यु का स्पष्ट कारण पर अभी भी विवाद है.
2 अक्टूबर: अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस
प्रत्येक वर्ष 2 अक्टूबर को अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस (International Day of Non-Violence) मनाया जाता है. यह दिवस महात्मा गांधी के जन्मदिन पर 2 अक्टूबर को मनाया जाता है. इसे भारत में गांधी जयंती के रूप में मनाया जाता है.
15 जून 2007 को संयुक्त राष्ट्र महासभा में 2 अक्टूबर को अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में घोषित करने के लिए मतदान हुआ था. इस मतदान में महासभा में सभी सदस्यों ने 2 अक्टूबर को अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में स्वीकार किया था.
संयुक्त राष्ट्र की ओर से अहिंसा का संदेश
अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के अवसर पर संयुक्त राष्ट्र की ओर से एक तस्वीर भी दिखाई गई है, जिसमें बंदूक की प्रतिमा बनी हुई है लेकिन बंदूक की नली बंद है. जो हिंसा नहीं बल्कि अहिंसा का संदेश देती है. इसको स्वीडिश कलाकार कार्ल फ्रेडरिक ने डिजाइन किया है.