दूसरा भारत-चीन अनौपचारिक शिखर सम्‍मेलन मामल्‍लपुरम में आयोजित किया गया

प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी और चीन के राष्‍ट्रपति षी चिनपिंग के बीच दूसरी अनौपचारिक शिखर वार्ता 11-12 अक्टूबर को तमिलनाडु के मामल्‍लपुरम में आयोजित की गयी. दोनों नेताओं में कई दौर में अनौपचारिक वार्ता और शिष्‍टमंडल स्‍तर की वार्ता हुई. शिष्‍टमंडल स्‍तर की वार्ता में विदेश मंत्री एस जयशंकर और राष्‍ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल भी उपस्थित थे. चीन के शिष्‍टमंडल में पोलित ब्‍यूरो के वरिष्‍ठ सदस्‍य‍ और विदेश मंत्री शामिल थे.

अनौपचारिक शिखर वार्ता में महत्वपूर्ण मुद्दों जैसे द्विपक्षीय व्यापार, वैश्विक व्यापार, पीपल टू पीपल कॉन्टेक्ट, अगले साल दोनों देशों के बीच 70वीं वर्षगांठ, डिप्लोमेटिक रिलेशन की और टूरिज़्म के ऊपर गहनता से चर्चा हुई. इसके साथ ही क्लाइमेट चेंज, WTO और कई अन्य सारे क्षेत्रीय मु्द्दों पर भी बात हुई.

चीनी राष्ट्रपति के साथ बैठक में आपसी रणनीतिक साझेदारी, व्यापारिक संबंध के अलावा लोगों के बीच आपसी संबंध को बढ़ावा देने के लिए भी सहमति बनी. इस क्रम में मामल्लपुरम और चीन के फूचियन प्रांत के बीच ऐतिहासिक संबंधों को प्रगाढ़ बनाने पर भी विचार हुआ.

श्री मोदी ने षी चिनपिंग को उनकी तस्‍वीर वाली एक शॉल उपहार स्‍वरूप भेंट की. इसे कोयम्‍बटूर के सिरुमुगई के शिल्‍पकारों ने विशेष रूप से उनके लिए तैयार किया है. प्रधानमंत्री ने उन्‍हें कांचीपुरम सिल्‍क की साड़ी भी भेंट की.

यह अनौपचारिक शिखर वार्ता विश्व की दो तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं के बीच आपसी विश्वास और सहयोग को बढ़ावा देगी.

भारत-चीन तीसरा अनौपचारिक शिखर सम्‍मेलन चीन में

राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने द्विपक्षीय संबंधों को आगे जारी रखते हुए प्रधानमंत्री को तीसरी अनौपचारिक शिखर वार्ता के लिए भी आमंत्रित किया. इस आमंत्रण को प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने स्वीकार कर लिया है. श्री चिनफिंग और प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी के बीच पहला अनौपचारिक शिखर सम्‍मेलन 2018 में चीन के वुहान में हुआ था.

मामल्‍लपुरम चीनी सम्‍बंधों से जुड़ी विश्‍व धरोहर

तमिलनाडु का सुप्रसिद्ध पर्यटक स्‍थल मामल्‍लपुरम चीनी सम्‍बंधों से जुड़ी विश्‍व धरोहर की श्रेणी में आता है. यह दोनों देशों के बीच 1700 साल पुराने संबंधों का राजदार है. तमिलनाडु का यह प्राचीन शहर अपने भव्य मंदिरों, स्थापत्य और सागर-तटों के लिए बेहद ही लोकप्रिय है. द्रविड वास्तुकला की दृष्टि से यह शहर अग्रणी स्थान रखता है.

सातवीं शताब्दी में यह शहर पल्लव राजाओं की राजधानी था और इस दौरान चीन के साथ कई स्तरों पर संबंध भी थे. पल्लव वंश के राजा नरसिंह द्वितीय ने चीन के साथ व्यापारिक संबंधों को बढ़ावा देने के लिए अपने दूतों को चीन भी भेजा था. यह चीन से व्‍यापार करने वाले पल्‍लव राजवंश का बंदरगाह था.

दरअसल, इस क्षेत्र में काफी समय पहले चीन, फारस और रोम के प्राचीन सिक्के मिले थे, इतिहासकारों के मुताबिक ये इस बात के सबूत देते हैं कि यहां पर बंदरगाह के जरिए इन देशों के साथ व्यापार होता था.

चीन और भारत के बीच व्यापारिक के अलावा आध्यात्मिक संबंध भी रहे हैं. भारतीय बौद्ध-भिक्षु ने 520 या 526 ई. में मल्‍लापुरम से ही चीन गए थे और उन्‍होंने वहां बौद्ध धर्म का प्रचार किया था.