तीसरा RCEP सम्‍मेलन: भारत ने मुक्‍त व्‍यापार समझौते में शामिल न होने का फैसला लिया

तीसरा क्षेत्रीय व्‍यापक आर्थिक भागीदारी (रिज़नल कॉम्प्रिहेन्सिव इकॉनामिक पार्टरशिप) सम्‍मेलन थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक में 4 नवम्बर को आयोजित किया गया. प्रधानमंत्री ने इस सम्‍मेलन में हिस्सा लिया. इस सम्मेलन में आसियान और व्‍यापारिक साझेदार देशों के बीच प्रस्‍तावित मुक्‍त व्‍यापार समझौते के विभिन्‍न पहलुओं पर विचार-विमर्श हुआ.

भारत ने मुक्‍त व्‍यापार समझौते में शामिल न होने का फैसला लिया

भारत ने रीजनल कॉम्प्रिहंसिव इकनॉमिक पार्टनरशिप (RCEP) में शामिल नहीं होने का फैसला लिया है. RCEP समिट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि RCEP के तहत कोर हितों पर कोई समझौता नहीं होगा.

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत की चिंता असमान व्यापारिक घाटे को लेकर है. भारतीय बाज़ार में अवसर उपलब्ध होंगे लेकिन साथ ही ये भी सुनिश्चित होना चाहिए कि समान अवसर भारतीय व्यवसाय और उत्पादों को भी मिले जिससे भारत की स्थिति भी बराबरी की हो.

भारत का कहना है कि RCEP समझौता अपनी मूल मंशा को नहीं दर्शा रहा है और इसके नतीजे संतुलित और उचित नहीं हैं. भारत ने इस समझौते में कुछ नई मांग रखी थी. भारत का कहना था कि इस समझौते में चीन की प्रधानता नहीं होनी चाहिए, नहीं तो इससे भारत को व्यापारिक घाटा बढ़ेगा.

क्या है क्षेत्रीय व्‍यापक आर्थिक भागीदारी (RCEP)?

  • RCEP, Regional Comprehensive Economic Partnership का संक्षिप्त रूप है. यह आसियान देशों और उनके व्यापार सहयोगी देशों के बीच मुक्त व्यापार वार्ता मंच है.
  • आसियान और उसके व्‍यापारिक साझेदार देशों के बीच आर्थिक संबंध को मजबूत करने के लिए नवम्‍बर 2012 में RCEP का गठन किया गया था.
  • RCEP समझौते के तहत सदस्य देशों के बीच आयात और निर्यात कर मुक्त या आंशिक कर लगाने का प्रावधान था.
  • RCEP में 10 आसियान देशों के अलावा भारत, चीन, जापान, साउथ कोरिया, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के शामिल होने का प्रावधान था, जिसमें से अब भारत ने इसमें से बाहर रहने का फैसला किया है.
  • भारत का मानना है कि आयात शुल्क कम करने या खत्म करने से विदेश (मुख्य तौर पर चीन) से भारी मात्रा में सामान भारत आएगा और इससे देश के घरेलू उद्योगों को काफी नुकसान होगा.
  • दुनिया के लगभग 29 प्रतिशत व्‍यापार इन देशों के बीच होता है. RCEP मुक्त व्यापार को लेकर यदि समझौता हो जाता है तो विश्‍व की 50 प्रतिशत अर्थव्‍यवस्‍था इसके दायरे में शामिल हो जाती.