मलयालम कवि अक्कीथम को 55वें ज्ञानपीठ पुरस्कार के लिए चुना गया

वर्ष 2019 का ज्ञानपीठ पुरस्कार के लिए मलयालम के प्रमुख कवि अक्कीथम का चयन किया गया है. यह 55वां ज्ञानपीठ पुरस्कार है. ज्ञानपीठ चयन बोर्ड ने 29 नवम्बर को एक बैठक में वर्ष 2019 के ज्ञानपीठ पुरस्कार के लिए श्री अक्कीथम को चुना.

अक्कीथम का पूरा नाम अक्कीथम अच्युतन नम्बूदिरी है और वह अक्कीथम के नाम से लोकप्रिय हैं. उन्होंने 55 पुस्तकें लिखी हैं जिनमें से 45 कविता संग्रह है. अक्कतीम ने कविताओं के अलावा नाटक, संस्मरण, आलोचनात्मक निबंध, बाल साहित्य और अनुवाद का उत्कृष्ट काम किया है. इनकी कई रचनाओं का कई भारतीय व विदेशी भाषाओं में अनुवाद किया जा चुका है.

अक्कीथम को पद्म पुरस्कार, सहित्य अकादमी पुरस्कार, केरल साहित्य अकादमी पुरस्कार (दो बार) मातृभूमि पुरस्कार, वायलर पुरस्कार और कबीर सम्मान से भी सम्मानित किया जा चुका है.

ज्ञानपीठ पुरस्कार: एक दृष्टि

  • ज्ञानपीठ पुरस्कार साहित्‍य के क्षेत्र में भारत का सर्वोच्‍च सम्‍मान है.
  • यह पुरस्कार भारतीय संविधान के आठवीं अनुसूची में बताई गई भाषाओं में से किसी भाषा के लेखन के लिए दिया जाता है.
  • पुरस्कार में 11 लाख रुपये की राशि, वाग्देवी की प्रतिमा और प्रशस्ति पत्र प्रदान किया जाता है.
  • पहला ज्ञानपीठ पुरस्कार 1965 में मलयालम लेखक जी शंकर कुरूप को प्रदान किया गया था.
  • अब तक हिन्दी तथा कन्नड़ भाषा के लेखक सबसे अधिक 7 बार यह पुरस्कार पा चुके हैं. यह पुरस्कार बांग्ला को 5 बार, मलयालम को 4 बार, उड़िया, उर्दू और गुजराती को 3-3 बार, असमिया, मराठी, तेलुगू, पंजाबी और तमिल को 2-2 बार मिल चुका है.
  • वर्ष 2017 का ज्ञानपीठ पुरस्कार हिन्‍दी के प्रख्‍यात उपन्‍यासकार कृष्‍णा सोबती को दिया गया था.
  • वर्ष 2018 के ज्ञानपीठ पुरस्कार से अंग्रेजी के मशहूर साहित्यकार अमिताव घोष सम्मानित किये गये थे. ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित होने वाले वह देश के अंग्रेजी के पहले लेखक हैं.