श्रीलंका राष्‍ट्रपति चुनाव: श्री गोटबाया राजपक्षे ने 7वें राष्‍ट्रपति के रूप में शपथ ली

श्रीलंका में गोतबाया राजपक्ष ने 18 नवम्बर को 7वें राष्‍ट्रपति के रूप में शपथ ली. यहाँ राष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए 16 नवम्बर को मतदान हुए थे. इस चुनाव में गोटबाया राजपक्षे को जीत मिली थी. उन्‍होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी सजित प्रेमदासा को हराया था.

इससे पहेल गोटबाया के मुख्‍य प्रतिद्वंदी सजित प्रेमदास ने हार स्‍वीकार करते हुए राजपक्ष को जीत की बधाई दी थी. श्री प्रेमदास ने प्रधानमंत्री रनिल विक्रम सिंघे की यूनाइटेड नेशनल पार्टी (UNP) के उपनेता के पद से इस्‍तीफा दे दिया था.

गोटबाया ने सत्तारूढ़ पार्टी के उम्मीदवार सजीत प्रेमदास को 13 लाख से अधिक मतों से पराजित किया था. राजपक्षे को 52% (6,924,255) मत मिले जबकि प्रेमदास को 42% (5,564,239) वोट प्राप्त हुए. गोटबाया की जीत 5 साल पहले सत्ता से बाहर हुए राजपक्षे परिवार को फिर से देश की सत्ता में ले आई है.

गोटबाया राजपक्षे: एक परिचय

70 वर्षीय गोटबाया राजपक्षे पूर्व राष्‍ट्रपति महिंदा राजपक्षे के भाई हैं. गोटबाया ने 1980 के दशक में भारत के पूर्वोत्तर स्थित ‘काउंटर इंसर्जेंसी एंड जंगल वारफेयर स्कूल’ में प्रशिक्षण लिया था. वर्ष 1983 में उन्होंने मद्रास विश्वविद्यालय से रक्षा अध्ययन में स्नातकोत्तर की उपाधि हासिल की.

बतौर राष्‍ट्रपति राजनीति में प्रवेश

गोतबाया किसी राजनीतिक दल से नहीं जुड़े हैं और बतौर राष्‍ट्रपति उनका राजनीति में भी प्रवेश होगा. महिंदा राजपक्ष को उनका दल पहले ही प्रधानमंत्री पद का उम्‍मीदवार घोषित कर चुका है और आने वाले दिनों में उनका शपथग्रहण भी संभावित है.

चीन के करीबी

गोटबाया राजपक्षे चीन के करीबी माने जाते हैं. गोटबाया के भाई के शासन में चीन ने बड़े पैमाने पर श्रीलंका की आधारभूत परियोजनाओं में निवेश किया था.

श्रीलंका ने हंबनटोटा बंदरगाह को विकसित करने के लिए चीन से भारी कर्ज लिया था. इस कर्ज चुका न पाने पर उसने यह अहम पोर्ट चीन को 99 साल की लीज पर दे दिया. फिलहाल इस पर चीन का ही अधिकार है.

चीन ने श्रीलंका को एक युद्धपोत भी उपहार दिया है. ऐसा दिखाया गया कि यह आपसी संबंध मजबूत करने के लिए हुआ है. दरअसल, ऐसा करके चीन हिंद महासागर में अपनी सैन्य पहुंच बना रहा है.

अल्पसंख्यक तमिल और मुस्लिम आशंकित

गोटबाया राजपक्षे ने तमिल हथियारंबद संगठन लिट्टे के खिलाफ उन्होंने बेहद निर्दयता के साथ अभियान चलाया था. इस कारण अधिकतर तमिल अल्पसंख्यक उन्हें अविश्वास की नजर से देखते हैं जबकि श्रीलंका के बहुसंख्यक सिंहली बौद्ध उन्हें ‘युद्ध नायक’ मानते हैं.

गोटबाया की लोकप्रियता से मुस्लिम समुदाय भी आशंकित रहता है. उन्हें आशंका है कि ईस्टर के मौके पर इस्लामी आतंकवादियों के गिरजाघरों पर किए गए हमले के बाद दोनों समुदायों में पैदा हुई खाई और चौड़ी होगी. हिंदू और मुस्लिम की संयुक्त रूप से श्रीलंका की कुल आबादी में 20 फीसदी हिस्सेदारी है.