पानीपत में बायोमास एथेनॉल का संयंत्र लगाने के लिए इंडियन ऑयल कार्पोरेशन लिमिटेड को मंजूरी

सरकार ने हरियाणा के पानीपत में बायोमास एथेनॉल का संयंत्र लगाने की इंडियन ऑयल कार्पोरेशन लिमिटेड (IOCL) को मंजूरी दी है. केन्द्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने एथनॉल के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिये मंत्रालय ने इस परियोजना को 11 नवम्बर को मंजूरी दी. इसके तहत IOCL को 766 करोड़ रुपये की लागत से दूसरी पीढ़ी के बायोमास आधारित ईंधन (2G एथेनॉल) के संयंत्र को लगाने की मंजूरी दी गयी है.

इस परियोजना से न सिर्फ पर्यावरण हितैषी ईंधन को बढ़ावा मिलेगा बल्कि किसानों की आय को दोगुना करने के सरकार के लक्ष्य को प्राप्त करने में भी मदद मिलेगी.

उल्लेखनीय है कि IOCL ने 100 किलोलीटर प्रतिदिन उत्पादन क्षमता वाले 2G एथेनॉल संयंत्र से पर्यावरण पर पड़ने वाले संभावित असर की आंकलन रिपोर्ट इस साल जून में मंत्रालय के समक्ष पेश करते हुये इसकी स्थापना के लिये मंजूरी का आवेदन किया था.

IOCL इस परियोजना में बायोमास आधारित ईंधन के रूप में एथेनॉल के उत्पादन के लिये धान और अन्य कृषि उत्पादों की पराली का इस्तेमाल किया जायेगा. संयंत्र में 100 किलोलीटर एथेनॉल के उत्पादन के लक्ष्य की प्राप्ति के लिये प्रतिदिन 473 टन पराली की आवश्यकता होगी.

क्या है एथेनॉल?

  • एथेनॉल एक तरह का अल्कोहल है जिसे पेट्रोल में मिलाकर गाडिय़ों में इंधन के रूप इस्तेमाल किया जा सकता है. इसका उत्पादन मुख्य रूप से गन्ने की फसल से होता है लेकिन कई अन्य फसलों से भी इसे तैयार किया जा सकता है.
  • एथेनॉल इंधन के इस्तेमाल से कार्बन मोनोऑक्साइड (CO) का उत्सर्जन 35 फीसदी तक कम हो जाता है. यह सल्फर डाइऑक्साइड, हाइड्रोकार्बन और नाइट्रोजन ऑक्साइड के उत्सर्जन को भी कम करता है. इसमें 35 फीसदी फीसद ऑक्सीजन होता है.
  • एथेनॉल इंधन का सर्वाधिक इस्तेमाल ब्राजील में किया जाता है. यहाँ 40 फीसद गाडिय़ां पूरी तरह से एथेनॉल पर निर्भर हैं. बाकी गाडिय़ां भी 24 फीसदी एथेनॉल मिला ईंधन उपयोग हो रहा है.