महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन को मंजूरी, अनुच्छेद 356 का इस्तेमाल कर राष्ट्रपति शासन की अनुशंसा

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाने को मंजूरी दे दी. राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने भारतीय संविधान के अनुच्छेद 356 का इस्तेमाल करते हुए राज्य में राष्ट्रपति शासन की 12 नवम्बर को अनुशंसा की थी. इस दौरान महाराष्ट्र की विधानसभा निलंबित रहेगी.

राज्य में किसी भी दल के संवैधानिक तरीके से सरकार बनाने की स्थिति में नहीं होने के कारण राज्यपाल ने राष्ट्रपति शासन की सिफारिश की थी. इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी दी गई थी.

संवैधानिक तरीके से सरकार बनाने में बिफल
महाराष्ट्र के राज्यपाल ने बीजेपी, शिवसेना और एनसीपी को सरकार बनाने का मौका दिया था. उनकी तरफ से हर संभव कोशिश के बाद भी सरकार का गठन संविधान के मुताबिक नहीं किया जा सका.

महाराष्ट्र विधानसभा में किसी भी दल को बहुमत नहीं
288 सदस्यों की महाराष्ट्र विधानसभा के लिए हाल ही में चुनाव प्रक्रिया संपन्न हुआ था. इस चुनाव में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (BJP) और शिवसेना गठबंधन ने मिलकर चुनाव लड़ा था. इस गठबंधन ने 161 सीटें जीतकर पूर्ण बहुमत प्राप्त किया था, किन्तु मुख्यमंत्री के नाम पर सहमति नहीं बन पाने के कारण नये विधानसभा का गठन नहीं किया जा सका.

इस विधानसभा चुनाव में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने सर्वाधिक 105 सीटें जबकि गठबंधन के सहयोगी शिवसेना ने 56 सीटें जीते थे. विपक्षी कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी गठबंधन ने 98 सीटें जीतने में सफल हुई थी. बाकी 29 सीटें छोटे दलों और निर्दलियों ने जीते. यहाँ सरकार के गठन के लिए आवश्यक बहुमत के लिए 145 सीटों (निर्वाचित सदस्यों) की जरूरत है.

अनुच्छेद 356: एक दृष्टि

  • भारतीय संविधान का अनुच्छेद 356, केंद्र सरकार को राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने का अधिकार देता है.
  • किसी राज्य में संवैधानिक तंत्र की विफलता या संविधान के स्पष्ट उल्लंघन की दशा में उस राज्य के राज्यपाल की सिफारिश पर अनुच्छेद 356 का उपयोग का राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है.
  • राष्ट्रपति शासन उस स्थिति में भी लागू होता है, जब राज्य विधानसभा में किसी भी दल या गठबंधन को स्पष्ट बहुमत नहीं हो.
  • राष्ट्रपति शासन एक समय में 6 महीने के लिए लगाया जा सकता है, बाद में लोकसभा व राज्यसभा की सहमती से इस अवधि को अधिकतम 3 वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है.
  • अनुच्छेद 356 भारतीय संविधान में 1950 में लागू किया गया था. अनुच्छेद 356 को पहली बार 31 जुलाई 1957 को लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गयी केरल की कम्युनिस्ट सरकार बर्खास्त करने के लिए किया गया था.