सुप्रीम कोर्ट ने शबरिमला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश के मामले की सुनवाही बड़ी बेंच को दिया

सुप्रीम कोर्ट ने शबरिमला मंदिर में सभी आयु वर्ग की महिलाओं के प्रवेश के मामले की सुनवाही के लिए सात जजों की बड़ी बेंच को दे दिया है. यह संवैधानिक बेंच इस मामले के साथ-साथ मस्जिद में मुस्लिम, अज्ञारी में पारसी महिलाओं और दाऊदी बोहरा समुदाय की महिलाओं से जुड़े मुद्दों पर भी फैसला लेगी.

सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की बेंच ने अपने फैसले पर पुनर्विचार याचिकाओं को 3-2 के बहुमत के आधार पर बड़ी बेंच को भेजा. 3 जजों ने बहुमत से मामले को 7 जजों की संविधान पीठ को रेफर किया है जबकि 2 जजों- जस्टिस नरीमन और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने इसके खिलाफ अपना निर्णय दिया.

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी साफ किया है कि महिलाओं के प्रवेश का पिछला फैसला फिलहाल बरकरार रहेगा. CJI रंजन गोगोई ने कहा कि धार्मिक प्रथाओं को सार्वजनिक आदेश, नैतिकता और संविधान के भाग 3 के अन्य प्रावधानों के खिलाफ नहीं होना चाहिए.

सुप्रीम कोर्ट ने लिंग आधारित भेदभाव माना था
उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने 28 सितंबर 2018 को अपने फैसले में शबरिमला मंदिर में 10 से 50 वर्ष की आयु वाली महिलाओं और लड़कियों के प्रवेश पर लगी रोक को लिंग आधारित भेदभाव माना था. कोर्ट ने हिंदू धर्म की सदियों पुरानी इस परंपरा को गैरकानूनी और असंवैधानिक कहा था.

सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर हिंसक विरोध के बाद 56 पुनर्विचार याचिकाओं सहित करीब 60 याचिकाएं अदालत में दाखिल हुईं जिन पर चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने सुनवाई की.