‘इलेक्‍ट्रानिक सिगरेट निषेध विधेयक- 2019’ संसद के दोनों सदनों से पारित हुआ

राज्‍यसभा ने 2 दिसम्बर को ‘इलेक्‍ट्रानिक सिगरेट निषेध विधेयक- 2019’ पारित कर दिया. लोकसभा में यह विधेयक पहले ही पारित कर चुकी है. इस विधेयक में ई-सिगरेट के उत्पादन, विनिर्माण, आयात, निर्यात, परिवहन, विक्रय, वितरण, भंडारण और विज्ञापन पर प्रतिबंध के साथ इसके उल्‍लंघन पर कड़ी सजा का प्रावधान किया गया है. यह विधेयक 18 सितम्‍बर 2019 को जारी अध्‍यादेश का स्‍थान लेगा.

इस विधेयक का उद्देश्‍य लोगों को ई-सिगरेट के दुष्‍प्रभाव से बचाना है. भारत में 28 प्रतिशत लोग किसी न किसी रूप में तम्‍बाकू का इस्‍तेमाल करते हैं. ई-सिगरेट तम्‍बाकू उत्‍पाद नहीं है लेकिन इससे स्‍वास्‍थ्‍य को गंभीर नुकसान पहुंचता है.

ई-सिगरेट: एक दृष्टि

  • ई-सिगरेट (इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट) का पूरा नाम ‘इलेक्ट्रॉनिक निकोटीन डिलीवरी सिस्टम (ENDS)’ है. यह एक बैटरी द्वारा चालित उपकरण है जो निकोटीन या गैर-निकोटीन के वाष्पीकृत होने वाले घोल की सांस के साथ सेवन की जाने वाली खुराक प्रदान करता है.
  • यह सिगरेट, सिगार या पाइप जैसे धुम्रपान वाले तम्बाकू उत्पादों का एक विकल्प है. यह वाष्प पिये जाने वाले तम्बाकू के धुंएं के समान स्वाद और शारीरिक संवेदना भी प्रदान करती है जबकि इस क्रिया में दरअसल कोई धुंआ या दहन नहीं होता है.
  • 2003 में एक चीनी फार्मासिस्ट होन लिक द्वारा इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट का निर्माण किया गया था. उनकी कंपनी गोल्डन ड्रैगन होल्डिंग्स ने 2005-2006 में विदेशों में इसकी बिक्री शुरू की थी.