पाइका विद्रोह के 200 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्‍य में एक स्‍मारक की आधार शिला रखी गयी

राष्‍ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 8 दिसम्बर कलो ओडि़सा में पाइका विद्रोह के 200 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्‍य में एक स्‍मारक की आधारशिला रखी. प्रस्‍तावित स्‍मारक खुर्दा जिले की बारूनेई पहाड़ी पर बनाया जायेगा. यह उडि़या लोगों के शौर्य और युवा वर्ग के लिए प्रेरणा का प्रतीक होगा. वर्ष 1817 में अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ पाइका विद्रोह को प्राय: प्रथम स्‍वतंत्रता संग्राम भी माना जाता है.

पाइका विद्रोह: मुख्य तथ्यों पर एक दृष्टि

  • ओडिशा के गजपति शासकों के तहत आने वाले किसानों की सेना ‘पाइका’ ने 1817 में ब्रिटिशों के शोषणकारी नीतियों के विरुद्ध विद्रोह किया था जिसे पाइका विद्रोह के नाम से जाना जाता है. पाइका ने औपनिवेशिक शासकों के खिला‍फ तब विद्रोह कर दिया जब उन्होंने उनकी जमीन हड़पने की कोशिश की.
  • पाइका विद्रोह बक्शी जगबंधु विद्याधर के नेतृत्व में लड़ा गया था. यह एक सशस्त्र, व्यापक आधार वाला और संगठित विद्रोह था. पाइका उड़ीसा की एक पारंपरिक भूमिगत रक्षक सेना थी. बक्शी जगबंधु को अंतत: 1825 में गिरफ्तार कर लिया गया और कैद में रहते हुए ही 1829 में उनकी मृत्यु हो गई.

पाइका विद्रोह को भारत का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम का दर्ज़ा देने की घोषणा

  • सरकार ने पाइका विद्रोह को ‘प्रथम स्वतंत्रता संग्राम’ के रूप में मान्यता देने की हाल ही में घोषणा की है. 1857 का स्वाधीनता संग्राम को अब तक देश का पहला स्वतंत्रता संग्राम माना जाता था.
  • पाइका विद्रोह ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अहम् भूमिका निभाई थी. यह विद्रोह किसी भी मायने में एक वर्ग विशेष के लोगों के छोटे समूह का विद्रोह भर नहीं था. दुर्भाग्य से इस विद्रोह को राष्ट्रीय स्तर पर वैसा महत्त्व नहीं मिला है जैसा कि मिलना चाहिये था.