मैड्रिड में अन्तर्राष्ट्रीय जलवायु सम्मेलन ‘COP 25’ आयोजित किया गया

स्पेन के मैड्रिड में 2 से 14 दिसम्बर तक संयुक्त राष्ट्र का जलवायु सम्मेलन ‘COP 25’ (UN Climate Change Conference- UNFCCC COP 25) का आयोजन किया गया. यह सम्मेलन चिली में आयोजित किया जाना था लेकिन देश में बढ़ते विरोध प्रदर्शनों को देखते हुए इसके आयोजन में असमर्थता जताई थी. इस सम्मेलन में लगभग 200 देशों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया.

दुनिया भर में, तापमान में वृद्धि, जंगलों में आग, बाढ़, सूखा आदि की बढती घटना को मानव निर्मित ग्लोबल वार्मिंग से जोड़ा जा रहा है, जो इस सम्मेलन के वार्ता का मुख्य हिस्सा था. इस जलवायु वार्ता में कार्बन बाजारों के बारे में कोई समझौता नहीं हो पाया.

यह सम्मेलन 2015 के पेरिस समझौते को पूरा करने में असफल रही जिसके कारण संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुतेरेस ने इसे ग्लोबल वार्मिंग से लड़ने के लिए एक गंवाया हुआ मौका कहा. दो सप्ताह की इस लंबी वार्ता में प्रमुख मुद्दों जैसे कि अनुच्छेद 6, हानि और क्षति, और दीर्घकालीन वित्तीय सहायता पर कोई समझौता नहीं हो सका.

COP 25 सम्मेलन में दुनिया के करीब दो सौ देशों के प्रतिनिधियों ने सामूहिक घोषणा-पत्र जारी किया. इसमें धरती के बढ़ते तापमान के लिए जिम्‍मेदार ग्रीन हाउस गैसों के उत्‍सर्जन में कटौती तथा जलवायु परिवर्तन से प्रभावित गरीब देशों की मदद की बात कही गई. जलवायु परिवर्तन पर अगली वार्ता (COP 26) ग्‍लासगो में होगी.

COP 25 में वैज्ञानिकों ने भविष्य में ग्लोबल वार्मिंग से निपटने के लिए शीघ्र बड़े कदम उठाने की आवश्यकता बताई. सम्मेलन में पृथ्वी पर जलवायु परिवर्तन से संबंधित आपदाओं पर चर्चा की गई, जिसमें अप्रत्याशित चक्रवात, अकाल और रिकॉर्ड-तोड़ ‘लू’ शामिल था.

भारतीय जलवायु कार्यकर्ता लिसिप्रिया कांगुजम चर्चा में रही

COP25 जलवायु सम्मेलन में भारत की आठ वर्षीय जलवायु कार्यकर्ता लिसिप्रिया कांगुजम की उपस्थिति चर्चा में रही. उसने दुनिया को भावी पीढ़ियों के प्रति उसके दायित्‍यों को याद दिलाया. सम्मेलन के दौरान कंगुजाम ने संयुक्त राष्ट्र महासचिव अन्तोनियो गुतरश गुतरेस से मुलाकात की और दुनिया के बच्चों की ओर से एक ज्ञापन प्रस्तुत किया.

संयुक्तराष्ट्र महासचिव का संबोधन

सम्मेलन को संबोधित करते हुए संयुक्त राष्ट्र महासचिव अन्तोनियो गुतरश गुतरेस ने जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए विश्व में किए जा रहे प्रयास अपर्याप्त बताया. उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन से धरती का तापमान बढने का खतरा काफी बढ़ गया है. महासचिव ने कहा कि धरती का तापमान बढ़ने और मौसम पर इसके तीव्र प्रभाव का असर दुनिया-भर में महसूस किया जा रहा है.

वैज्ञानिकों ने अनुत्क्रमणीय परिवर्तन की चेतावनी जारी की

COP25 सम्मेलन में वैज्ञानिकों ने जलवायु पर कोई कार्रवाई नहीं किये जाने पर ‘अनुत्क्रमणीय परिवर्तन’ की चेतावनी जारी की. “वर्ल्ड साइंटिस्ट्स वार्निंग ऑफ ए क्लाइमेट इमरजेंसी” के सह-लेखक, विलियम मूमाव ने कहा कि वर्तमान वैश्विक प्रतिबद्धताएं जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को रिवर्स करने के लिए पर्याप्त नहीं हैं.

मोओमा द्वारा सह-लिखित एक अध्ययन जो नवंबर में बायोसाइंस पत्रिका में प्रकाशित हुआ था, जलवायु परिवर्तन के चलते होने वाली ‘अनकही पीड़ा’ की चेतावनी दी थी. इस अध्ययन का समर्थन 11,000 वैज्ञानिकों ने किया था.

भारतीय शिष्टमंडल का नेतृत्व पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने किया

भारत रचनात्‍मक और सकारात्‍मक परिप्रेक्ष्‍य के साथ इस सम्‍मेलन में भाग लिया. सम्मेलन में भारतीय शिष्टमंडल का नेतृत्व वन, पर्यावरण तथा जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने किया. सम्मेलन को संबोधित करते हुए पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने मैड्रिड जलवायु सम्‍मेलन में अपने दीर्घावधि विकास हितों की सुरक्षा पर कम करने की बात कही.

सम्‍मेलन के दौरान मंत्रिस्‍तरीय बैठक के पूर्ण सत्र में पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने और अधिक देशों से अंतरराष्‍ट्रीय सौर गठबंधन में शामिल होने का आह्वान किया है. ऊर्जा की बढ़ती मांग को देखते हुए जीवाश्‍म ईंधन पर निर्भरता कम करने के लिए 2015 में पेरिस में प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी और फ्रांस के तत्‍कालीन राष्‍ट्रपति फ्रांस्‍वा ओलांद ने अंतरराष्‍ट्रीय सौर गठबंधन का शुभारंभ किया था.

पर्यावरण की रक्षा के लिए भारत द्वारा उठाये गये मुख्य कदम

भारत पिछले चार वर्ष में जलवायु परितर्वन से निपटने के कार्य करने में अग्रणी रहा है. देश के चार सौ पचास गीगावाट के महत्‍वाकांक्षी नवीकरणीय ऊर्जा कार्यक्रम ने पूरी दुनिया का ध्‍यान आकर्षित किया है. यह इस क्षेत्र में विश्‍व का सबसे बड़ा कार्यक्रम है.

भारत विश्‍व के कुछ ऐसे देशों में शामिल है, जहां वन क्षेत्र बढ़ा है. अंतर्राष्‍ट्रीय सौर गठजोड़ और आपदा अनुकूल बुनियादी ढांचे के लिए गठजोड़ का सबसे पहले प्रस्‍ताव कर प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने इस क्षेत्र में महत्‍वपूर्ण योगदान दिया है.
जानिए क्या है UNFCCC-COP और पेरिस समझौता