WHO ने 2020 को अंतर्राष्ट्रीय नर्स व प्रसाविका वर्ष के रुप में मनाने का फैसला किया है

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने वर्ष 2020 को ‘नर्स और मिडवाइफ वर्ष’ (International Year of the Nurse and the Midwife) के रुप में मनाने का फैसला किया है. इसका उद्देश्य स्वास्थ्य क्षेत्र में लगी महिलाओं को सम्मान देना और स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े संगठनों में उन्हें उच्च पद पर आगे बढ़ाना है.

WHO के एक आंकड़े के मुताबिक दुनिया की स्वास्थ्य सेवाओं में कुल कार्यरत लोगों में लगभग 70 फीसदी नर्स और मिडवाइफ ही होती हैं. भारत सहित दुनिया के जिन देशों में एकल स्वास्थ्यकर्मी के सेंटर चलते हैं, वहां इनकी संख्या 80 फीसदी से भी ऊपर है. रोगों के उपचार की सबसे बड़ी जिम्मेदारी इन्ही के कंधों पर होती है. लेकिन इतनी महत्वपूर्ण भूमिका के बावजूद उनका वेतन, काम करने की परिस्थितियां और काम करने के घंटे बेहद निराशाजनक हैं.

विश्व स्वास्थ्य संगठन: एक दृष्टि

WHO संयुक्त राष्ट्र संघ की एक अनुषांगिक इकाई है. इसकी स्थापना 7 अप्रैल 1948 को की गयी थी. WHO का मुख्यालय स्विटजरलैंड के जेनेवा शहर में स्थित है. भारत WHO का सदस्य देश है.

फ्लोरेंस नाइटिंगेल के जन्म का 200वां साल

  • 2020 फ्लोरेंस नाइटिंगेल के जन्म (12 मई 1820) का 200वां साल है. इस कारण से भी इस वर्ष को नर्स और मिडवाइफ वर्ष के रूप में मनाए जाने का महत्व बढ़ गया है.
  • फ्लोरेंस नाइटिंगेल को दुनिया की पहली आधुनिक नर्स कहा जाता है. वे रात के समय अपने हाथों में एक लैंप लेकर रोगियों की सेवा किया करती थीं. इसीलिए उन्हें ‘दिये के साथ एक महिला’ या ‘The Lady With The Lamp’ कहा जाता था.
  • नाइटिंगेल के नाम पर अनेक देशों ने अपने यहां पुरस्कार घोषित कर रखे हैं. भारत ने 1973 में राष्ट्रीय फ्लोरेंस नाइटिंगेल पुरस्कार की शुरुआत की थी जो पतिवर्ष दिया जाता है.