आंध्र प्रदेश सरकार ने राज्य के विधान परिषद को भंग करने का प्रस्ताव पारित किया

आंध्र प्रदेश की जगन मोहन रेड्डी सरकार ने विधानसभा में विधान परिषद को भंग करने का प्रस्ताव पारित कर दिया है. इसके बाद विधानसभा आगे की प्रक्रिया के लिए केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजेगी. प्रस्ताव के पारित होने के बाद सदन को स्थगित कर दिया गया है.
आंध्र प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष ताम्मिनेई सीताराम ने राज्यों में विधान परिषदों के गठन या निरस्तीकरण से संबंधित अनुच्छेद 169(1) के तहत प्रस्ताव को बहुमत से स्वीकार किया.

विधान परिषद भंग करने के उदेश्य

जगनमोहन रेड्डी की सरकार हाल ही में राज्य के उच्च सदन (विधान परिषद) में राज्य में तीन राजधानियों से संबंधित महत्वपूर्ण विधेयकों (आंध्र प्रदेश विकेंद्रीकरण और समावेशी विकास और एपी कैपिटल रीजन डेवलपमेंट अथॉरिटी विधेयक) को पारित करवाने में विफल रही थी. इसी के बाद यह कदम उठाया गया है.

आंध्र प्रदेश की 58 सदस्यीय विधान परिषद में सत्तारूढ़ राजनीतिक दल YSR कांग्रेस 9 सदस्यों के साथ अल्पमत में है. इसमें विपक्षी तेलगु देशम पार्टी के 28 सदस्य हैं. सत्तारुढ़ दल सदन में वर्ष 2021 में ही बहुमत प्राप्त कर पाएगा जब विपक्षी सदस्यों का छह साल का कार्यकाल खत्म हो जाएगा.

विधान परिषद (State Legislative Council): एक दृष्टि

भारत के छः राज्यों में विधान परिषद, विधानमंडल का अंग है. यानी इन राज्यों में विधानसभा निचला सदन और विधानपरिषद उच्च सदन के रूप में गठित है. राज्यसभा की तरह विधान परिषद के सदस्य सीधे मतदाताओं द्वारा निर्वाचित नहीं होते. इसके सदस्य अप्रत्यक्ष चुनाव के द्वारा चुने जाते हैं. कुछ सदस्य राज्यपाल के द्वारा मनोनित किए जाते हैं.

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 171 किसी राज्य में विधानसभा के अलावा एक विधान परिषद के गठन का विकल्प प्रदान करता है. संविधान का अनुच्छेद 169 राज्य में विधान परिषद को समाप्त करने की शक्ति प्रदान की गयी है.

विधान परिषद सदस्य (MLC) का कार्यकाल 6 वर्ष का होता है, जहां प्रत्येक दो वर्ष की अवधि पर इसके एक-तिहाई सदस्य कार्यनिवृत्त हो जाते हैं.

छह राज्यों में विधान परिषद का अस्तित्व

वर्तमान में छह राज्यों आंध्र प्रदेश, बिहार, कर्नाटक, महाराष्ट्र, तेलंगाना और उत्तर प्रदेश में विधानसभा के साथ-साथ विधान परिषद का भी गठन किया गया हैं. जम्मू-कश्मीर को केन्द्र शासित प्रदेश बनाने से पहले यहाँ भी विधान परिषद अस्तित्व में था.

विधानपरिषद सदस्यों का चुनाव प्रक्रिया

  • विधान परिषद के लगभग एक तिहाई सदस्य विधानसभा के सदस्यों द्वारा चुने जाते हैं.
  • एक तिहाई निर्वाचिका द्वारा, जिसमें नगरपालिकाओं के सदस्य, जिला बोर्डों और राज्य में अन्य प्राधिकरणों के सदस्य शामिल हैं, द्वारा चुने जाते हैं.
  • एक बटा बारह (1/12) सदस्यों का चुनाव निर्वाचिका द्वारा ऐसे व्यक्तियों द्वारा किया जाता है जिन्होंने कम-से-कम तीन वर्षों तक राज्य के उच्च शैक्षिक संस्थाओं में अध्यापन में लगे रहे हों.
  • एक बटा बारह सदस्यों का चुनाव पंजीकृत स्नातकों द्वारा किया जाता है जो तीन वर्ष से अधिक समय पहले पढ़ाई समाप्त कर लिए हैं.
  • शेष सदस्य राज्यपाल द्वारा साहित्य, विज्ञान, कला, सहयोग आन्दोलन और सामाजिक सेवा में उत्कृष्ट कार्य करने वाले व्यक्तियों में से नियुक्त किए जाते हैं.