असम के बोडो क्षेत्रों में स्थायी शांति के लिए त्रिपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर

केंद्र सरकार ने 27 जनवरी को असम के उग्रवादी समूहों में से एक नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड (NDFB) और दो अन्य संगठनों के साथ समझौते पर हस्ताक्षर किए. इस समझौते का उद्देश्य असम के बोडो बहुल क्षेत्रों में स्थायी शांति लाना है. समग्र बोडो समाधान समझौते पर हस्ताक्षर करने वालों में ऑल बोडो स्टूडेंट्स यूनियन (ABSU) और यूनाइटेड बोडो पीपुल्स ऑर्गेनाइजेशन (UBPO) भी शामिल हैं. ABSU 1972 से ही अलग बोडोलैंड राज्य की मांग के लिए आंदोलन चला रहा था.

यह त्रिपक्षीय समझौता केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की मौजूदगी में किये गये. समझौते पर NDFB के चार धड़ों, ABSU, UBPO के शीर्ष नेताओं, गृह मंत्रालय के संयुक्त सचिव सत्येन्द्र गर्ग और असम के मुख्य सचिव कुमार संजय कृष्णा ने हस्ताक्षर किए.

बोडो उग्रवादियों की हिंसा में पिछले कुछ दशकों में चार हजार से अधिक लोगों को जान गंवानी पड़ी है. NDFB पिछले कुछ दशकों में सिलसिलेवार हिंसक कृत्यों के लिए जिम्मेदार रहा है जिनमें दिसंबर 2014 में लगभग 70 आदिवासियों की हत्या भी शामिल है.

समझौते के मुख्य बिंदु

  • इस समझौते में राजनीतिक और आर्थिक फायदे दिए गए हैं लेकिन अलग राज्य या केंद्रशासित क्षेत्र की मांग पूरी नहीं की गई है.
  • समझौते के मुताबिक NDFB के धड़े हिंसा का रास्ता छोड़ेंगे, अपने हथियार डाल देंगे और समझौते के एक महीने के भीतर उनके सशस्त्र संगठन भंग कर दिए जाएंगे.
  • NDFB के 1,550 उग्रवादी 30 जनवरी को हथियार छोड़ देंगे, अगले तीन वर्षों में 1,500 करोड़ रुपये का आर्थिक कार्यक्रम लागू किया जाएगा जिसमें केंद्र और राज्य सरकारों की 750 — 750 करोड़ रुपये की बराबर भागीदारी होगी.
  • केंद्र और राज्य सरकार NDFB (P), NDFB (RD) और NDFB (S) के लगभग 1,550 कैडरों का पुनर्वास करेंगी.
  • बोडोलैंड क्षेत्रीय परिषद् (BTC) के वर्तमान ढांचे को और शक्तियां देकर मजबूत किया जाएगा तथा इसकी सीटों की संख्या 40 से बढ़ाकर 60 की जाएगी.
  • बोडो बहुल गांवों को BTC में शामिल करने, गैर बोडो बहुल गांवों को इससे बाहर करने के लिए एक आयोग का गठन किया जाएगा.
  • असम सरकार बोडो भाषा को राज्य की एक सह-आधिकारिक भाषा के रूप में देवनागरी लिपि में अधिसूचित करेगी.
  • समझौते में कहा गया है कि पृथक राज्य के लिए हुए आंदोलन में मारे गए लोगों के परिजनों को राज्य सरकार पांच-पांच लाख रुपये देगी और NDFB के सदस्यों के खिलाफ गैर जघन्य आपराधिक मामलों को वापस लिया जाएगा.
  • जघन्य अपराधों की मौजूदा नियमों के अनुरूप मामले दर मामले के आधार पर समीक्षा की जाएगी.

तीसरा बोडो समझौता

यह पिछले 27 वर्षों में तीसरा बोडो समझौता है:

  1. पहला समझौता 1993 में ऑल बोडो स्टूडेंट्स यूनियन के साथ हुआ था जिसका परिणाम सीमित राजनीतिक शक्तियों के साथ बोडोलैंड स्वायत्त परिषद के रूप में निकला.
  2. दूसरा समझौता 2003 में उग्रवादी समूह ‘बोडो लिबरेशन टाइगर्स’ के साथ हुआ था जिसका परिणाम असम के चार जिलों- कोकराझार, चिरांग, बक्सा और उदलगुड़ी को मिलाकर बोडोलैंड क्षेत्रीय परिषद (BTC) के गठन के रूप में निकला. इन चारों जिलों को बोडोलैंड प्रादेशिक क्षेत्र जिला (BTAD) कहा जाता है.
  3. 27 जनवरी को हुए तीसरे समझौते के अनुसार BTAD का नाम बदलकर अब बोडोलैंड प्रादेशिक क्षेत्र (BTR) होगा और इसके पास अधिक कार्यकारी, प्रशासनिक, विधायी तथा वित्तीय शक्तियां होंगी.

BTC का गठन संविधान की छठी अनुसूची के अंतर्गत

BTC का इस समय शिक्षा, वन, बागवानी जैसे 30 से अधिक क्षेत्रों पर नियंत्रण है, लेकिन पुलिस, राजस्व और सामान्य प्रशासनिक विभागों पर उसका कोई नियंत्रण नहीं है और ये असम सरकार के नियंत्रण में हैं. BTC का गठन संविधान की छठी अनुसूची के अंतर्गत किया गया था.