ईरान ने 2015 के परमाणु समझौते से अलग होने का फैसला किया

ईरान ने घोषणा की है कि अब वह 2015 के परमाणु समझौते को नहीं मानेगा. उसने कहा है कि अब वह इस समझौते के तहत आने वाले परमाणु संवर्धन की क्षमता, संवर्धन के स्‍तर, संवर्धित सामग्री के भंडार या अनुसंधान और विकास से जुडी सीमाओं का पालन नहीं करेगा. ईरान के जनरल कासिम सुलेमानी को बगदाद में अमरीका द्वारा मारे जाने के परिपेक्ष्य में यह फैसला किया गया है.

यूरोपीय संघ के विदेश नीति प्रमुख जोसेप बोरेल ने ईरान के विदेश मंत्री मोहम्‍मद जावेद ज़ारिफ को परमाणु समझौते पर चर्चा और सुलेमानी की हत्‍या से उत्‍पन्‍न संकट दूर करने पर बातचीत के लिए ब्रसेल्‍स आने का निमंत्रण दिया है. श्री बोरेल ने कहा कि 2015 में ईरान के परमाणु कार्यक्रम समझौते को बचाने के लिए क्षेत्र में राजनीतिक समाधान एक मात्र उपाय है.

जर्मनी, फ्रांस और ब्रिटेन के नेताओं ने भी ईरान से 2015 के परमाणु समझौते का उल्लंघन ना करने की अपील की है. जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल, फ्रांस के राष्ट्रपति एमैनुएल मैक्रों और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने एक संयुक्त बयान में कहा कि हम ईरान से उन सभी कदमों को वापस लेने की अपील करते हैं जो परमाणु समझौते के अनुरूप नहीं है.

ईरान परमाणु समझौता: एक दृष्टि

ईरान ने P5+1 (China, France, Russia, the United Kingdom, and the US; plus Germany) देशों के साथ जिनेवा में एक परमाणु समझौता हस्ताक्षरित किया था. 2015 के इस परमाणु समझौते में ईरान अपनी संवेदनशील परमाणु गतिविधियों को सीमित करने और अन्तर्राष्ट्रीय निरीक्षकों को जांच की अुनमति देने पर राजी हुआ था. इसके बदले ईरान के खिलाफ लगे कड़े आर्थिक प्रतिबंध को हटाने का प्रावधान था.

2018 में अमेरिका इस परमाणु समझौते से अलग हो गया था. परन्तु रूस, चीन, यूरोपीय संघ, फ्रांस, जर्मनी और यूनाइटेड किंगडम अभी भी इस समझौते में बना हुआ है.

इराक़ की संसद ने सभी विदेशी सैनिकों से देश छोड़ने को कहा

इराक़ की संसद ने 6 जनवरी को एक प्रस्ताव पास कर सभी विदेशी सैनिकों से मुल्क छोड़ने को कहा है. अमेरिका द्वारा किए गए हवाई हमले में ईरान की क़ुद्स फ़ोर्स के प्रमुख जनरल क़ासिम सुलेमानी की मौत के बाद इराक़ की संसद ने ये प्रस्ताव पास किया है. इराक ने देश में हुए अमेरिकी हवाई हमले की शिकायतें संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् को सौंप दी हैं.

इराक़ में अभी अमरीका के पाँच हज़ार सैनिक हैं. इराकी संसद ने विदेशी बलों को इराक़ की ज़मीन, हवाई क्षेत्र और जलक्षेत्र के इस्तेमाल को रोकने और अमरीकी सेना को सभी तरह की मदद बंद किये जाने की बात भी कही है.