ब्रू शरणार्थियों की समस्या के समाधान के लिए समझौते, जानिए कौन है ब्रू शरणार्थी

केंद्र सरकार ने ब्रू-शरणार्थी संकट को समाप्त करने के लिए त्रिपुरा, मिजोरम और ब्रू समुदाय के सदस्यों के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं. यह समझौता 16 जनवरी को नई दिल्‍ली में हुआ. गृहमंत्री अमित शाह, त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देव, मिजोरम के मुख्यमंत्री जोरामथांग की उपस्तिथि में यह समझौता किया गया. इस समझौते के अनुसार 30 हजार से अधिक शरणार्थियों को त्रिपुरा में बसाया जायेगा.

समझौते के अनुसार 30 हजार से अधिक ब्रू-शरणार्थियों को त्रिपुरा में बसाया जाएगा. केंद्र सरकार ने इस समुदाय के लोगों के पुनर्वास के लिए छह सौ करोड़ रुपए का पैकेज मंजूर किया है. सरकार उनको आवासीय प्‍लॉट, चार लाख रुपये की फिक्‍स डिपॉजि़ट और पांच हजार रुपया प्रतिमाह नकद सहायता देगी.

कौन है ब्रू शरणार्थी और क्या है मामला?

  1. ब्रू शरणार्थी मिजोरम की ब्रू (रियांग) जनजाति है. मिजोरम में मिजो जनजातियों का कब्जा बनाए रखने के लिए मिजो उग्रवाद ने ब्रू जनजातियों को निशाना बनाया. 1995 में यंग मिजो एसोसिएशन और मिजो स्टूडेंट्स एसोसिएशन ने ब्रू जनजाति को बाहरी घोषित कर दिया.
  2. अक्टूबर, 1997 में मिजोरम में ब्रू लोगों के खिलाफ जमकर हिंसा हुई. जिसके बाद काफी संख्या में ब्रू शरणार्थि अपना राज्य मिज़ोरम छोड़कर त्रिपुरा आ गए थे, जहां वो कई कैंप में रह रहे थे. इस प्रकार यह समस्या 22 वर्षों से जारी थी.
  3. साल 2018 में केंद्र की पहल पर हुए समझौते के तहत उनके लिए मिज़ोरम में वापसी की व्यवस्था हुई थी, लेकिन काफी कम लोगों ने उस अवसर का इस्तेमाल किया. अब ब्रू शरणार्थियों की मांग पर त्रिपुरा में ही उनके रहने की व्यवस्था हुई है.