चालू वित्त वर्ष 2019-20 की छठी द्विमासिक मौद्रिक नीति की समीक्षा, नीतिगत दरों में कोई बदलाव नहीं
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता में छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक 5-6 फरवरी को मुंबई में हुई. यह चालू वित्त वर्ष (2019-20) की छठी और अंतिम द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक थी. बैठक में मौद्रिक नीति समिति ने प्रमुख नीतिगत दरों में कोई बदलाव नहीं किया है.
प्रमुख नीतिगत दरों में कोई बदलाव नहीं
इस बैठक में RBI ने रेपो दर में कोई बदलाव नहीं करते हुए इसे 5.15% पर अपरिवर्तित रखी गई है. रिवर्स रेपो दर 4.90% और बैंक दर 5.40% बनी रहेगी. यह फैसला उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के आधार पर मुद्रास्फीति की 4% दर के मध्यम अवधि लक्ष्य के मद्देनजर किया गया है. दिसम्बर में घोषित 5वीं द्विमासिक मौद्रिक नीति की समीक्षा में भी RBI ने प्रमुख नीतिगत दरों में कोई बदलाव नहीं किया था.
रेपो रेट कम होने से कैसे लोगों को होता है फायदा?
रेपो रेट के कम होने से बैंकों को RBI से कम व्याज पर कर्ज मिलता है. इस सस्ती लागत का लाभ कर्ज लेने वाले ग्राहकों को मिलता है. इससे बैंकों को घर, दुकान, पर्सनल और कार के लिये लोन कम दरों पर देने का मौका मिलता है. ग्राहकों के चल रहे लोन पर EMI का भी कम होता है.
जीडीपी वृद्धि का पूर्वानुमान
रिजर्व बैंक ने वित्त वर्ष 2019-20 के लिये GDP वृद्धि का पूर्वानुमान 5% रखा है. वर्ष 2020-21 के लिए यह अनुमान 6% निर्धारित किया गया है.
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI): एक दृष्टि
- भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) भारत का केन्द्रीय बैंक है. यह भारत के सभी बैंकों का संचालक है.
- RBI की स्थापना 1 अप्रैल 1935 को RBI ऐक्ट 1934 के अनुसार हुई. प्रारम्भ में इसका केन्द्रीय कार्यालय कोलकाता में था जो सन 1937 में मुम्बई आ गया.
- पहले यह एक निजी बैंक था किन्तु सन 1949 से यह भारत सरकार का उपक्रम बन गया है.
- भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) को भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 के तहत अनिवार्य रूप से मौद्रिक नीति के संचालन की जिम्मेदारी सौपीं गई है.
वर्तमान दरें: एक दृष्टि
नीति रिपो दर | 5.15% |
प्रत्यावर्तनीय रिपो दर | 4.90% |
सीमांत स्थायी सुविधा दर | 5.40% |
बैंक दर | 5.40% |
CRR | 4% |
SLR | 18.75% |