जम्मू-कश्मीर के लिए 37 कानूनों को समवर्ती सूची में रखने के आदेश को मंजूरी दी गयी

केंद्रीय कैबिनेट ने केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में लागू करने के लिए 37 केंद्रीय कानूनों को समवर्ती सूची में शामिल करने के आदेश को मंजूरी दी है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में 26 फरवरी को हुई बैठक में कैबिनेट की बैठक में यह मंजूरी दी गयी है. मंजूरी के बाद कश्मीर घाटी में जो 37 कानून लागू नहीं थे, वह अब लागू हो जाएंगे.

केंद्र सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 की धारा 96 के अंतर्गत जम्मू-कश्मीर में केंद्रीय कानूनों के समवर्ती आदेश को जारी करने को स्वीकृति दी. धारा 96 के अंतर्गत केंद्र सरकार के पास कानूनों को आवश्यकतानुसार ढालने और उनमें संशोधन करने का अधिकार है.

अगस्त 2019 में संसद ने जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले भारतीय संविधान के अनुच्छेद-370 और 35A के प्रावधानों को खत्म कर दिया था और राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में विभक्त किया था. ये दोनों राज्य 31 अक्तूबर 2019 से अस्तित्व में आए थे. इसमें जम्मू-कश्मीर में विधानसभा का प्रावधान किया गया था जबकि लद्दाख बिना विधानसभा का केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया था.

पूरे देश में एक सामान लागू होगा केंद्रीय कानून

31 अक्तूबर, 2019 से पूर्व जम्मू-कश्मीर को छोड़कर अन्य सभी राज्यों में सभी केंद्रीय कानून लागू होते थे. सरकार द्वार 37 केंद्रीय कानूनों को समवर्ती सूची में शामिल करने के बाद अब सभी केंद्रीय कानून पूरे देश में एक सामान लागू होगा. इससे पहले देश के कानून को स्वीकार करना जम्‍मू-कश्‍मीर की विधानसभा पर निर्भर होता था.

क्या है समवर्ती सूची?

भारतीय संविधान में केंद्र सरकार और राज्य सरकार की शक्तियों का विभाजन किया गया है. इन शक्तियों को संविधान की सातवीं अनुसूची में तीन सूचियों में वर्गीकृत किया गया है. ये तीन सूची हैं:

  1. संघ सूची: संघ सूची के विषयों से सम्बंधित कानून बनाने का अधिकार संसद को प्रदान किया गया है. वर्तमान समय में संघ सूची में कुल 100 विषयों को सम्मिलित किया गया है.
  2. राज्य सूची: राज्य सूची के विषयों से सम्बंधित कानून बनाने का अधिकार राज्य विधानसभा को प्रदान किया गया है. राज्य सूची में वर्तमान में 61 विषय शामिल हैं.
  3. समवर्ती सूची: समवर्ती सूची में उन विषयों को रखा गया है, जिसपर राज्य विधानसभा और संसद दोनों कानून का निर्माण कर सकती है. दोनों सरकारों द्वारा बनाये गए कानून में गतिरोध उत्पन्न होने पर केंद्र सरकार के क़ानून को मान्यता प्रदान की गयी है. वर्तमान समय में समवर्ती सूची में कुल 52 विषय को रखा गया है.