उच्चतम न्यायालय ने महिला अधिकारियों को सेना में स्थाई कमीशन दिया जाने का निर्देश दिया है
उच्चतम न्यायालय ने महिला अधिकारियों को भी पुरुष अधिकारियों की तरह सेना में स्थाई कमीशन दिया जाने का निर्देश दिया है. 17 फरवरी को सुनाये अपने फैसले में न्यायलय ने केन्द्र सरकार को तीन महीने के भीतर उन सभी महिला अधिकारियों को स्थाई कमीशन दिये जाने का आदेश दिया जिन्होंने इसका विकल्प चुना है. न्यायालय ने कहा कि महिला अधिकारियों को कमान तैनाती दिये जाने पर भी कोई प्रतिबंध नहीं होगा.
महिलाओं को तैनाती से वंचित रखना समानता के अधिकार के विरूद्ध
न्यायमूर्ति डीवाई चन्द्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने सरकार के इस तर्क को अस्वीकार कर दिया कि महिलाओं को स्थाई कमीशन अथवा कमान तैनाती न दिया जाना मनोवैज्ञानिक सीमाओं और सामाजिक व्यवस्था के तहत है. अदालत ने कहा कि महिलाओं को इस तरह की तैनाती से वंचित रखना गैर-तार्किक तथा समानता के अधिकार के विरूद्ध है.
दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले को सही माना
उच्चतम न्यायालय ने महिला अधिकारियों को स्थार्इ कमीशन की अनुमति के दिल्ली उच्च न्यायालय के 2010 के फैसले पर कोई रोक नहीं लगायी है. दिल्ली उच्च न्यायालय ने 2010 में शॉर्ट सर्विस कमिशन के तहत सेना में आने वाली महिलाओं को सेवा में 14 साल पूरे करने पर पुरुषों की तरह स्थायी कमिशन देने का आदेश दिया था. इस फैसले के खिलाफ रक्षा मंत्रालय ने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी.