अमरीका और तालिबान के बीच शांति समझौते पर हस्ताक्षर, भारत पर्यवेक्षक के रूप में आम‍ंत्रित

अफगानिस्तान में शांति के लिए अमेरिका और तालिबान के बीच 29 फरवरी को ऐतिहासिक शांति समझौते पर हस्ताक्षर हुए. इस समझौते पर कतर की राजधानी दोहा में हस्‍ताक्षर किए गये. अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने तालिबान के प्रतिनिधियों के साथ समझौते पर हस्ताक्षर किया. दोनों पक्षों के बीच 18 महीनों की वार्ता के बाद यह समझौता हुआ.

भारत पर्यवेक्षक के रूप में आम‍ंत्रित

भारत को इस ऐतिहासिक कार्यक्रम में पर्यवेक्षक के रूप में आम‍ंत्रित किया गया था. कतर में भारत के राजदूत पी कुमारन इस ऐतिहासिक समारोह में उपस्थित थे. भारत, अफगानिस्‍तान में शांति और सुलह प्रक्रिया में महत्‍वपूर्ण भागीदार रहा है. यह पहला मौका था जब भारत तालिबान से जुड़े किसी मामले में आधिकारिक तौर पर शामिल हुआ.

क्या है समझौता?

इस समझौते से अफगानिस्‍तान से हजारों अमरीकी सैनिकों की चरणबद्ध वापसी होगी. अफगानिस्तान में अमेरिका के करीब 13 हजार सैनिक हैं. विदेशी सैनिकों की वापसी के लिए 14 महीने की समय सीमा तय की गई है. अमेरिका अपने बलोंसैनिकों की संख्या शुरू में ही घटाकर 8,600 तक करने के लिए प्रतिबद्ध है. यह वह स्तर है जिसे अफगानिस्तान में अमेरिकी और नाटो बलों के कमांडर, जनरल स्कॉट्स मिलर ने उनके मिशन को पूरा करने के लिए आवश्यक बताया था.

समझौते के तहत तालिबान को स्‍थायी युद्धविराम और युद्ध के बाद के अफगानिस्‍तान में सत्‍ता में भागीदारी के लिए अफगान सरकार, सिविल सोसायटी तथा राजनीतिक गुटों के साथ बातचीत शुरू करनी होगी. समझौते में 10 मार्च तक एक हजार सरकारी बंदियों को छोडे जाने के बदले में पांच हजार तालिबान बंदियों की रिहाई की बात भी कही गई है.

भारत का पक्ष

भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा है कि राष्ट्रीय एकता, क्षेत्रीय अखंडता, लोकतंत्र, विविधता को मजबूत बनाने और बाहर से प्रायोजित आतंकवाद की समाप्ति में भारत अफगानिस्‍तान का साथ देगा. शांति समझौते पर हस्ताक्षर से पहले विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रंगला काबुल पहुंचे हैं. विदेश सचिव ने वहां के नेताओं को बताया कि भारत शांतिपूर्ण और स्थिर अफगानिस्तान को निरंतर समर्थन देता रहेगा.

भारत की चिंता

तालिबान के साथ पाकिस्‍तान के अच्‍छे संबंध हैं. इस समझौते के बाद पाकिस्‍तान अपने आतंकी शिविर अपने देश से हटाकर अफगानिस्‍तान भेज सकता है. साथ ही दुनिया को दिखा सकता है कि वह आ‍तंकियों का पोषण नहीं कर रहा है. इसके अलावा तालिबानी आतंकी कश्‍मीर की ओर रुख कर सकता है.

अफगानिस्‍तान के राष्‍ट्रपति ने आतंकवादियों की रिहाई की शर्त को अस्‍वीकार किया

अफगानिस्‍तान के राष्‍ट्रपति अशरफ गनी ने 1 मार्च को समझौते को खारिज करते हुए जेलों में बंद तालिबानी आतंकवादियों की रिहाई की शर्त को अस्‍वीकार कर दिया. उन्‍होंने पूर्ण-युद्धविराम के लक्ष्‍य तक पहुंचने के लिए हिंसा में कमी लाने के प्रयास जारी रखे जाने की बात कही.