‘क्लासिकल स्वाइन फीवर’ से बचाने के लिए कारगर टीका विकसित किया गया

घरेलू वैज्ञानिकों ने सूअरों को घातक ‘क्लासिकल स्वाइन फीवर’ (CSF) से बचाने के लिए एक नया और कारगर टीका विकसित किया है. यह संक्राम बुखार सूअरों के लिए जानलेवा साबित होता है और इससे देश में इनकी संख्या गिर रही है और सालाना अरबों रुपये का नुकसान होता है. वर्ष 2019 की पशुगणना के अनुसार भारत में सूअरों की संख्या वर्ष 2007 के एक करोड़ 11.3 लाख की तुलना में 90.6 लाख रह गई है.

इस टीका का विकास उत्तर प्रदेश में ICAR-भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (IBRI) द्वारा किया गया है. यह मौजूदा टीके की तुलना में काफी सस्ता होगा. स्वाइन फीवर का मौजूदा घरेलू टीके 15-20 रुपये प्रति खुराक और कोरिया से आयातित टीका 30 रुपये प्रति खुराक का है. इसकी तुलना में नया टीका केवल दो रुपये में है. मौजूदा वैक्सीन की दो खुराक की जगह नये टीके की बस एक खुराक ही एक वर्ष में देनी होगी.

IBRI के अनुसार क्लासिकल स्वाइन बुखार (CSF) को नियंत्रित करने के लिए टीकाकरण पर्याप्त नहीं हो रहा है. जिसके कारण सूअरों की मृत्यु दर काफी ऊंची है और देश को लगभग 4.29 अरब रुपये की वार्षिक हानि होती है. विशेषज्ञों के अनुसार देश में टीकों की दो करोड़ खुराक की वार्षिक आवश्यकता है जबकि उपलब्धता केवल 12 लाख खुराक की ही है.