सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद-142 का प्रयोग कर पहली बार किसी मंत्री को बर्खास्त किया

सुप्रीम कोर्ट ने 18 मार्च को पूर्वोत्तरीय राज्य मणिपुर के कैबिनेट मंत्री टीएच श्याम कुमार को बर्खास्त कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद 142 के तहत हासिल विशेष शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए मंत्री के खिलाफ यह कार्रवाई की है. ऐसा पहली बार हुआ है जब इस अनुच्छेद का प्रयोग कर किसी मंत्री को बर्खास्त किया गया हो. कोर्ट ने दल-बदल कानून के तहत विधायक को अयोग्य ठहराते हुए उनके विधानसभा में जाने पर भी प्रतिबंध लगा दिया.

क्या है मामला?

मणिपुर में 2017 में हुए 60 सीटों पर विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के 28 और BJP के 21 सदस्य (विधायक) चुने गये थे. कांग्रेस के 9 विधायक चुनाव के बाद पार्टी छोड़कर BJP में चले गए. श्याम कुमार भी उनमें से एक थे, जिन्हें कैबिनेट मंत्री बना दिया गया था. विधानसभा अध्यक्ष से दल-बदल रोधी कानून के तहत श्यामकुमार को अयोग्य ठहराने की मांग की गई थी. विधानसभा अध्यक्ष की तरफ कोई निर्णय नहीं आने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने विशेषाधिकार का प्रयोग किया.

क्या है अनुच्छेद-142?

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 212 के अनुसार देश का कोई भी न्यायालय राज्य विधानमंडल की कार्यवाही में हस्तक्षेप नहीं कर सकता, लेकिन अनुच्छेद-142 के तहत सुप्रीम कोर्ट को विशेषाधिकार हासिल है.

अनुच्छेद-142 के अनुसार अगर सुप्रीम कोर्ट को ऐसा लगता है कि किसी अन्य संस्था के जरिए व्यवस्था को बरकरार रखने के लिए किसी तरह का आदेश देने में देरी हो रही है, तो कोर्ट अनुच्छेद 142 के तहत खुद उस मामले में फैसला ले सकता है. सुप्रीम कोर्ट इस अनुच्छेद का इस्तेमाल विशेष परिस्थितियों में ही करता है.

अयोध्या विवाद और भोपाल गैस त्रासदी मामले में अनुच्छेद-142 का प्रयोग

सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद-142 के तहत अयोध्या की विवादित जमीन रामलला विराजमान को सौंपने और मुसलमानों को मस्जिद के लिए 5 एकड़ जमीन अलग से देने का फैसला सुनाया था.

भोपाल गैस त्रासदी मामले में भी अनुच्छेद 142 का इस्तेमाल किया था. इस मामले में कोर्ट ने यह महसूस किया कि गैस के रिसाव से पीड़ित हजारों लोगों के लिये मौजूदा कानून से अलग निर्णय देना होगा.