अमेरिका ने अपनी पहली हाइपरसोनिक मिसाइल का सफल परीक्षण किया

अमेरिका ने 20 मार्च को अपनी पहली हाइपरसोनिक मिसाइल का सफल परीक्षण किया. यह परीक्षण थल सेना और नौसेना द्वारा संयुक्त रूप से किया गया. इस परीक्षण में मिसाइल ने निर्धारित लक्ष्य तक हाइपरसोनिक गति यानी ध्वनि की गति से पांच गुणा अधिक तेजी से उड़ान भरी.

इस मिसाइल की चाल 6,200 किलोमीटर प्रति घंटा से ज्यादा है. यह बैलेस्टिक मिसाइल परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम होगी. इस परीक्षण से पहले अक्टूबर, 2017 में अमेरिकी सेना एवं नौसेना ने पहला संयुक्त परीक्षण किया था. तब इस प्रतिकृति मिसाइल ने दर्शाया था कि वह हाइपरसोनिक रफ्तार से लक्ष्य की दिशा में उड़ सकती है.

हाइपरसोनिक मिसाइल: एक दृष्टि

हाइपरसोनिक मिसाइल को दुनिया की सबसे तेज हमलावर मिसाइल माना जाता है. इस रफ्तार से उड़ने वाली मिसाइल को किसी भी रडार और एयर डिफेंस सिस्टम से पकड़कर उसे रोकने के लिए कार्रवाई कर पाना असंभव सा है. इससे किसी भी युद्ध का नक्शा बदल सकता है.

हाइपरसोनिक मिसाइल क्रूज और बैलिस्टिक मिसाइल दोनों के फीचर्स से लेस होती हैं. यह मिसाइल लॉन्च के बाद पृथ्वी की कक्षा से बाहर जाती है. इसके बाद जमीन या हवा में मौजूद टारगेट को निशाना बनाती है. इन्हें रोकना काफी मुश्किल होता है.

रूस ने ‘एवेनगार्ड’ हाइपरसोनिक मिसाइल

अमेरिका ने अपने हाइपरसोनिक मिसाइल का विकास रूस के जवाब में किया है. अमेरिका से पहले दिसंबर 2019 में रूस ने ‘एवेनगार्ड’ हाइपरसोनिक मिसाइल का सफल परीक्षण किया था. रूस के अनुसार इस मिसाइल की चाल 33000 किलोमीटर प्रति घंटा है. रूस ने अपनी सेना में इसे शामिल कर लिया है.

चीन ने भी हाल ही में अपने पास हाइपरसोनिक मिसाइल ‘डोंगफेंग-41’ होने का दावा किया था. इस चीनी मिसाइल की मारक क्षमता 15000 किलोमीटर है. इस मिसाइल की गति 25 मैक है, लेकिन इसकी पुष्टि नहीं हुई.

मिसाइलों की गति को मैक में प्रदर्शित किया जाता है. एक मैक की गति का मतलब ध्वनि की गति के बराबर चाल है. अमेरिका की रिम-161 एसएम-3 मिसाइल की गति 13.2 मैक है और मारक क्षमत 2500 किलोमीटर है. भारत के सबसे तेज ब्रह्मोस मिसाइल की गति 2.8 मैक है. यह 290 किमी तक मार कर सकती है.

हाइपरसोनिक मिसाइलों के निर्माण में भारत की स्थिति

रक्षा अनुसंधान व विकास संगठन (Defence Research and Development Organisation- DRDO) ने भारत की अगली पीढ़ी की हाइपरसोनिक मिसाइलों का निर्माण शुरू कर दिया है. इन मिसाइलों के परीक्षण के लिए ‘एक विंड’ टनल बनाया गया है.