सरकार ने MPLAD फंड और सांसदों के वेतन में कटौती से संबंधित अध्यादेश को मंजूरी दी

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 6 अप्रैल को संसद अधिनियम, 1954 के सदस्यों के वेतन, भत्ते और पेंशन में संशोधन के अध्यादेश को मंजूरी दी. इस मंजूरी के तहत 1 अप्रैल, 2020 से देश के सभी सांसदों के वेतन, भत्ते और पेंशन में एक साल तक 30 प्रतिशत की कटौती की जाएगी. इसके साथ ही सांसद निधि के लिए दी जाने वाली राशि भी दो साल तक के लिए स्‍थगित कर दी गई है.

संसद सदस्यों के वेतन कटौती से सरकार को एक साल में करीब 8000 करोड़ रुपए की बचत होगी. राष्ट्रपति, उप-राष्ट्रपति, राज्यों के राज्यपालों ने स्वेच्छा से सामाजिक जिम्मेदारी के रूप में वेतन कटौती का फैसला किया है. यह राशि भारत के संचित निधि (समेकित कोष) में जमा की जाएगी.

MPLAD फंड को 2 साल के लिए निलंबित किया गया

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारत में महामारी के प्रतिकूल प्रभाव के प्रबंधन के लिए 2020-21 और 2021-22 के लिए सांसदों को मिलने वाले MPLAD (Members of Parliament Local Area Development Scheme) फंड को अस्थायी तौर पर निलंबित कर दिया.

इस निलंबन से 2 साल के लिए MPLAD फंड के 7900 करोड़ रुपये का उपयोग भारत की संचित निधि में किया जाएगा. MPLAD के तहत प्रत्येक सांसद को अपने क्षेत्र के विकास के लिए प्रतिवर्ष 5 करोड़ रुपये प्रदान किये जाते हैं.

संचित निधि क्या है?

  • भारतीय संविधान के अनुच्छेद 266 में संचित निधि (Consolidated Fund) का उल्लेख किया गया है. सरकार को प्राप्त सभी राजस्व (प्रत्यक्ष कर, अप्रत्यक्ष कर, ऋण प्राप्तियां, उधार लिया गया धन) संचित निधि में ही जमा होते हैं.
  • यह भारत की सबसे बड़ी निधि है जो कि संसद के अधीन रखी गयी है. बिना संसद की पूर्व स्वीकृति के कोई भी धन इससे निकाला नहीं जा सकता है.
  • राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, भारत के मुख्य न्यायाधीश, महालेखानियंत्रक (CAG), सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय के न्यायाधीश का वेतन संचित निधि से ही दिया जाता है.
  • लोक निधि: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 266 में लोक निधि (Public Fund) का भी उल्लेख है. कर्मचारी भविष्य निधि को भारत की लोकनिधि में जमा किया जाता है. यह कार्यपालिका के अधीन निधि है. इससे व्यय धन महालेखानियंत्रक द्वारा जाँचा जाता है.