वैज्ञानिकों ने ओजोन परत के सबसे बड़ा छेद के बंद हो जाने की पुष्टि की

यूरोपियन संघ के कोपर्निकस एटमॉस्फियर मॉनिटरिंग सर्विस (CAMS) के वैज्ञानिकों ने ओजोन लेयर के सबसे बड़ा छेद (Largest Hole on the Ozone Layer) के भर जाने की पुष्टि की है. यह ओजोन लेयर यह छेद उत्तरी ध्रुव (धरती का आर्कटिक वाला क्षेत्र) के ऊपर लगभग 10 लाख वर्ग किमी तक फैला था. यह ओजोन परत के इतिहास में पाया गया सबसे बड़ा छेद था. इस छेद की वजह से धरती पर बड़ा खतरा मंडरा रहा था.

CAMS के वैज्ञानिकों के अनुसार, इस छेद के बंद होने का मुख्य कारण ध्रुवीय भंवर है. ध्रुवीय भंवर चक्रवाती हवाएँ हैं जो ध्रुवीय क्षेत्रों में ठंडी हवाएं लाती हैं. CAMS ने कहा कि, इस साल ध्रुवीय भंवरें बहुत ज्यादा मजबूत हैं और इसके अंदर का तापमान बहुत ठंडा है.

ओजोन लेयर: एक दृष्टि

  • पृथ्वी की सतह से 20 से 30 किलोमीटर की ऊंचाई (समताप मंडल में) पर ओजोन गैस की एक परत पाई जाती है. इसे ही ओजोन लेयर कहा जाता है.
  • ओजोन लेयर सूर्य से आने वाली हानिकारक अल्ट्रावॉयलेट रेडिएशन (पराबैगनी विकिरणों) को पृथ्वी पर आने से रोकती है. इसीलिए पृथ्वी पर जीवन के लिए ओजोन परत बहुत महत्वपूर्ण है.
  • ओजोन लेयर में छेद का मुख्य कारण क्लोरोफ्लोरोकार्बन्स और हाइड्रोक्लोरोफ्लोरोकार्बन्स होते है. स्ट्रेटोस्फेयर में इनकी मात्रा बढ़ने से ओजोन लेयर नुकसान पहुँचता है.
  • ओज़ोन ऑक्सीजन का ही एक प्रकार है और इसे O3 के संकेत से प्रदर्शित करते हैं. ऑक्सीजन के जब तीन परमाणु आपस में जुड़ते है तो ओज़ोन परत बनाते हैं.
  • ओजोन परत का निर्माण सूर्य से आने वाली अल्ट्रावायलेट रेडिएशन की वजह से होता है. जब यह अल्ट्रावायलेट किरणें सामान्य ऑक्सीजन (O2) के अणुओं पर गिरती हैं तो यह अक्सीजन के दोनों परमाणुओं को अलग-अलग कर देती है. मुक्त हुए यह दोनों ऑक्सीजन परमाणु, ऑक्सीजन के दूसरे अणु से मिलकर ओजोन (O3) का निर्माण करते हैं.