जानिए क्या है हेलिकॉप्टर मनी और क्वांटिटेटिव ईजिंग, क्यों है चर्चा में

कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए जारी लॉकडाउन के कारण आर्थिक गतिविधि ठप हो गयी है. इस कारण देश को भारी नुकसान हो रहा है जिसके लिए हर सेक्टर से वित्तीय पैकेज की मांग की जा रही है. इस बीच पूरे विश्व में इन दिनों ‘हेलिकॉप्टर मनी’ (Helicopter Money) की चर्चा हो रही है. ऐसे में जानते हैं आखिर क्या होता है हेलिकॉप्टर मनी.

क्या है हेलिकॉप्टर मनी?

जब किसी देश की अर्थव्यवस्था खराब हो जाती है तो उस देश का केन्द्रीय बैंक (भारत में भारतीय रिजर्व बैंक-RBI) बड़े पैमाने पर नोटों की छपाई कर सरकार को देता है. सरकार को यह राशि सेंट्रल बैंक को लौटना नहीं करना पड़ता है. इस राशि की मदद से मनी सप्लाई बढ़ जाती है जिससे मांग और महंगाई में तेजी आ जाती है. अमेरिकन इकनॉमिस्ट मिल्टन फ्राइडमेन ने इस प्रक्रिया को हेलिकॉप्टर मनी का नाम दिया था.

क्वांटिटेटिव ईजिंग क्या है?

तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने हाल ही में क्वांटिटेटिव ईजिंग की बात कही है. उन्होंने केंद्र सरकार को केन्द्रीय अर्थव्यवस्था में फिस्कल डेफिसिट का टार्गेट GDP के 3 प्रतिशत के मुकाबले 5 प्रतिशत रखने का सुझाव दिया है.

इसके अलावा चंद्रशेखर राव ने ‘क्वांटिटेटिव ईजिंग’ (Quantitative Easing) के माध्यम से GDP का 5 प्रतिशत जारी करने को कहा है. भारत की GDP करीब 3 लाख करोड़ डॉलर है. इसका 5 प्रतिशत 15 हजार करोड़ डॉलर (करीब 11 लाख करोड़ रुपये) होता है.

हेलिकॉप्टर मनी की तरह क्वांटिटेटिव ईजिंग में भी केन्द्रीय बैंक नोटों की छपाई करता है लेकिन वह इस राशि से सरकारी बॉन्ड खरीदकर सरकार को पैसे देता है. सरकार को बाद में यह राशि केन्द्रीय बैंक को लौटना होता है.