डेली कर्रेंट अफेयर्स
केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में नया डोमिसाइल ऐक्ट लागू हुआ
केंद्र शासित प्रदेश (UT) जम्मू-कश्मीर में 19 मई से नया डोमिसाइल ऐक्ट लागू हो गया. सरकार की ओर से जारी नोटिफिकेशन के मुताबिक, जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन आदेश 2020 में सेक्शन 3A जोड़ा गया है. इसके तहत राज्य/UT के निवासी होने की परिभाषा तय की गई है.
क्या है नया डोमिसाइल ऐक्ट?
- जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने नए डोमिसाइल सर्टिफिकेट (प्रोसीजर) रूल्स 2020 को लागू कर दिया है. इसी के साथ प्रदेश में स्थानीय नागरिक प्रमाण पत्र (PRC) की जगह डोमिसाइल सर्टिफिकेट जारी करने के लिए 15 दिन का समय निर्धारित किया गया है.
- नए डोमिसाइल नियमों के मुताबिक, कोई व्यक्ति जो जम्मू-कश्मीर में कम से कम 15 साल रहा है और 10वीं या 12वीं की परीक्षा यहां के किसी संस्थान से पास कर चुका है, तो वह जम्मू-कश्मीर का निवासी कहलाने का हकदार होगा.
- नए डोमिसाइल ऐक्ट के तहत पश्चिमी पाकिस्तानी शरणार्थी, सफाई कर्मचारी और दूसरे राज्यों में शादी करने वाली महिलाओं के बच्चे भी अब डोमिसाइल के हकदार होंगे.
ई-नाम पोर्टल एक हजार मंडियों से जुड़ा, जानिए क्या है ई-नाम
कृषि उत्पादों की बिक्री के लिए बनाया गया ई-नाम पोर्टल 18 राज्यों और 3 केन्द्र शासित प्रदेशों की एक हजार मंडियों से जुड़ गया है. कृषि मंत्रालय के अनुसार, 15 मई को 38 अतिरिक्त मंडियों को इस पोर्टल से जोड़ा गया.
ई-नाम क्या है?
- ई-नाम (eNAM) National Agriculture Market का संक्षिप्त रूप है. किसानों के लिए अपने फसलों को ऑनलाइन बेचने के लिए यह एक व्यापार पोर्टल है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2016 में ई-नाम की शुरुआत की थी. यह पोर्टल ‘www.enam.gov.in’ पर उपलब्ध है.
- यह पोर्टल एक राष्ट्रीय कृषि बाजार है. इससे किसानों को, अपनी उपज को बेचने के लिए खुद थोक मंडियों में जाने की जरूरत नहीं होगी.
- कोरोनावायरस के संक्रमण के खतरे से बचने के लिहाज से ई-नाम सुविधा काफी अहम है, क्योंकि यह सामाजिक दूरी को बनाए रखते हुए व्यापार करने की सुविधा प्रदान करता है.
- देशभर की कृषि उपज मंडियों को एक मंच पर लाकर किसानों को उनकी फसलों का उचित मूल्य दिलाने का प्रयास किया जा रहा है.
- इस पोर्टल के माध्यम से अब तक 1 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का कारोबार हो चुका है. वहीं पिछले चार साल में एक करोड 66 लाख किसान, 1 लाख 31 हजार व्यापारी के अलावा 1 हजार से अधिक किसान उत्पादक संगठन ई-नाम से जुड़ चुके हैं.
ARCI और SCTIMST ने बॉयोडिग्रेबल स्टेंट का विकास किया
International Advanced Research Centre for Powder Metallurgy and New Materials (ARCI) और श्रीचित्रा तिरुनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (SCTIMST), तिरुवनंतपुरम ने मिलकर नई पीढ़ी की मिश्र-धातु का विकास किया है. यह मिश्र-धातु लौह-मैंगनीज (Fe, Mg, Zn, और बहुलक) आधारित है. इस मिश्र-धातु का उपयोग बायोडिग्रेडेबल ऑर्थोपेडिक प्रत्यारोपण (इम्प्लांट) और स्टेंट बनाने के लिए किया जायेगा.
लौह-मैंगनीज आधारित यह मिश्र-धातु बायोडिग्रेडेबल स्टेंट और आर्थोपेडिक सामग्री अभी इस्तेमाल हो रहे धातुओं के इम्प्लांट का बेहतर विकल्प हैं. यह मिश्र-धातु आधारित प्रत्यारोपण मानव शरीर में कोई दुष्प्रभाव नहीं छोड़ते हैं. वर्तमान प्रत्यारोपण से दीर्घकालिक दुष्प्रभाव जैसे विषाक्तता, घनास्त्रता और सूजन होती है.
देश-दुनिया: एक दृष्टि
सामयिक घटनाचक्र डेलीडोज
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