भारत के अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल को एक वर्ष का सेवा विस्तार दिया गया

भारत के अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल को एक वर्ष का सेवा विस्तार दिया गया है। वेणुगोपाल का मौजूदा तीन साल का कार्यकाल 30 जून 2020 को समाप्त हो रहा था।

केके वेणुगोपाल देश के एक प्रमुख अधिवक्ता हैं, उन्हें 30 जून 2017 को देश के 15वें अटॉर्नी जनरल यानी महान्यायवादी के रूप में नियुक्त किया गया था. पद्मभूषण और पद्मविभूषण से अलंकृत संविधान विशेषज्ञ वेणुगोपाल ने मोरारजी देसाई की सरकार में भी करीब ढाई साल तक अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के रूप में काम किया था.

भारत के महान्ययवादी (Attorney General): एक दृष्टि

  • भारतीय संविधान के अनुछेद 76 के अनुसार भारत के महान्ययवादी (अटॉर्नी जनरल) की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा की जाती है. उच्चतम न्यायालय का न्यायधीश बनने की योग्यता रखने वाले किसी व्यक्ति को राष्ट्रपति महान्यायवादी के पद पर नियुक्त कर सकते हैं.
  • देश के महान्यायवादी का कर्तव्य कानूनी मामलों में केंद्र सरकार को सलाह देना और कानूनी प्रकिया की उन जिम्मेदारियों को निभाना है जो राष्ट्रपति की ओर से उनके पास भेजे जाते हैं. इसके अतिरिक्त संविधान और किसी अन्य कानून के अंतर्गत उनका जो काम निर्धारित है, उनका भी पालन उन्हें पूरा करना होता है.
  • अपने कर्तव्य के निर्वहन के दौरान उन्हें देश के किसी भी न्यायालय में उपस्थित होने का अधिकार है. उन्हें संसद की कार्यवाही में भी भाग लेने का अधिकार है, हालांकि उनके पास मतदान का अधिकार नहीं होता. उनके कामकाज में सहायता के लिए सॉलिसिटर जनरल और अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल होते हैं.
  • भारत के लिए पहले महान्ययवादी एमसी सीतलवाड हैं.