फिच ने भारत की सॉवरेन क्रेडिट रेटिंग को ‘BBB-‘ पर बरकरार रखा

वैश्विक क्रेडिट रेटिंग एजेंसी फिच (Fitch) ने भारत की सॉवरेन क्रेडिट रेटिंग (Sovereign Credit rating) को ‘BBB-‘ पर बरकरार रखा है. फिच ने आठ साल में पहली बार भारतीय अर्थव्यवस्था का आउटलुक ‘स्थिर’ से घटाकर ‘नकारात्मक’ कर दिया है.
कोरोनावायरस के कारण दुनियाभर की अर्थव्यवस्था मंद पड़ी है. इससे विकसित और उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं की सॉवरेन क्रेडिट रेटिंग में बदलाव की संभावना बढ़ गई है. भारत भी इससे अछूता नहीं है.

Moody’s और S&P की रेटिंग

उल्लेखनीय है कि इससे पहले मूडीज (Moody’s) ने भारत की रेटिंग को Baa2 से घटा कर Baa3 कर दिया था. उसके बाद S&P ग्लोबल रेटिंग्स ने लगातार 13वें साल भारत के लिए सबसे कम निवेश श्रेणी ‘BBB-‘ रेटिंग को बरकरार रखते हुए कहा था कि भारत की दीर्घकालिक वृद्धि दर के लिए जोखिम बढ़ रहे हैं.

GDP में 5 फीसदी गिरावट का अनुमान

फिच के मुताबिक चालू वित्त वर्ष (2020-21) में भारत की अर्थव्यवस्था में 5 फीसदी की गिरावट दर्ज की जाएगी. उसने कहा कि लॉकडाउन के दौरान आर्थिक गतिविधि पूरी तरह बंद रही. फिच के मुताबिक वित्त वर्ष 2021-22 में देश की GDP में 9.5 फीसदी की तेजी देखी जाएगी.

सॉवरेन क्रेडिट रेटिंग क्या होती है?

विभिन्न देशों की उधार चुकाने की क्षमता के आधार पर सॉवरेन क्रेडिट रेटिंग तय की जाती है. रेटिंग एजेंसियां इसके लिए इकॉनोमी, मार्केट और राजनीतिक जोखिम को आधार मानती हैं. एजेंसियां क्रेडिट किसी देश की रेटिंग तय करते समाया उस देश के मूलधन और ब्याज जुकाने की क्षमता पर फोकस करती हैं. यह रेटिंग यह बताती है कि एक देश भविष्य में अपनी देनदारियों को चुका सकेगा या नहीं?

सॉवरेन क्रेडिट रेटिंग टॉप इन्वेस्टमेंट ग्रेड से लेकर जंक ग्रेड तक होती है. जंक ग्रेड को डिफॉल्ट श्रेणी में माना जाता है. सामान्य तौर पर इकॉनोमिक ग्रोथ, बाहरी कारण और सरकारी खजाने में ज्यादा बदलाव पर रेटिंग बदलती है.

मुख्य क्रेडिट रेटिंग एजेंसियां

Standard & Poor’s (S&P), Fitch और Moody’s Investors सॉवरेन रेटिंग तय करने वाली विश्व की मुख्य एजेंसियां हैं.

S&P और फिच रेटिंग के लिए BBB+ को मानक रखती हैं, जबकि मूडीज का मानक Baa1 है. यह सबसे ऊंची रेटिंग है जो इन्वेस्टमेंट ग्रेड को दर्शाती है.