गैरसैंण को उत्तराखंड का ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाए जाने को राज्यपाल की मंजूरी

उत्तराखंड में चमोली जिले के गैरसैंण (भराड़ीसैंण) को राज्य के ग्रीष्मकालीन राजधानी के रूप में मंजूरी दी गयी है. यह मंजूरी राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने 8 जून को दी. राज्यपाल की मंजूरी के बाद गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने के लिए शासनादेश जारी कर दिया गया है. मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मार्च 2020 में गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित किया था.

देहरादून राज्य की अस्थायी राजधानी

उत्तराखंड के अलग राज्य के रूप में अस्तित्व में आने के बाद आज तक स्थायी राजधानी नहीं मिल सकी है. देहरादून राज्य की राजधानी है, लेकिन वह अभी भी अस्थायी राजधानी के रूप में ही है. देश के 27वें राज्य के रूप में उत्तराखंड का गठन 9 नवंबर 2000 को उत्तर प्रदेश से अलग करके किया गया था.

उत्तराखंड देश का चौथा राज्य जिसकी दो राजधानियां

अब उत्तराखंड देश का ऐसा चौथा राज्य बन गया है जिसकी दो-दो राजधानियां हैं. आंध्र प्रदेश में 3 राजधानियों का प्रस्ताव है तो हिमाचल प्रदेश और महाराष्ट्र में दो-दो राजधानियां हैं. जम्मू-कश्मीर में भी दो राजधानी हैं लेकिन 2019 में इसे राज्य की सूची से हटाकर केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया था.

उत्तराखंड हाई कोर्ट नैनीताल में

उत्तराखंड में प्रशासकीय तौर पर दो मंडल हैं, कुमाऊं और गढ़वाल. राज्य बनने के बाद गढ़वाल और राज्य की सीमा पर स्थित देहरादून को राजधानी बनाया गया तो कुमाऊं के नैनीताल में हाई कोर्ट बना रहा.

उत्तराखंड में दो राजभवन

उत्तराखंड देश के चुनिंदा राज्यों में शुमार है, जहां राज्यपाल के लिए दो राजभवन हैं- देहरादून और नैनीताल. ग्रीष्मकाल में राज्यपाल नैनीताल प्रवास पर आते हैं.

गैरसैंण: एक दृष्टि

गैरसैंण उत्तराखंड के चमोली जिले में आता है और इसे नगर पंचायत का दर्जा हासिल है. यह उत्तराखंड की पामीर के नाम से जानी जाने वाली दुधाटोली पहाड़ी पर स्थित है. इसी पहाड़ी पर रामगंगा का उद्भव हुआ है. भौगोलिक तौर पर यह इलाका उत्तराखंड के बीच में पड़ता है.

सातवीं शताब्दी में भारत यात्रा पर आए चीनी यात्री ह्वेनसांग ने इस क्षेत्र में ब्रह्मपुर नामक राज्य होने का जिक्र किया था.