भारत और चीन के सैन्य अधिकारियों के बीच वार्ता, शांतिपूर्ण समाधान के लिए सहमति

भारत और चीन के सैन्य अधिकारियों के बीच 6 जून को उच्च स्तरीय वार्ता हुई. यह वार्ता लद्दाख में मोल्दो-चुशूल सीमा चौकी के पास चीनी क्षेत्र में आयोजित की गयी थी.

इस वार्ता में भारत और चीन की सेना के लेफ्टिनेंट जनरल स्तर के अधिकारियों ने हिस्सा लिया. वार्ता में भारत का प्रतिनिधित्व लेफिटनेंट जनरल हरिंदर सिंह के नेतृत्‍व में भारतीय शिष्‍टमंडल ने किया जबकि चीन का नेतृत्‍व वहां के मेजर जनरल लिन लुई ने किया. इस वार्ता में दोनों देश विभिन्‍न द्विपक्षीय समझौतों के अनुरूप सीमा क्षेत्रों से जुड़े मुद्दों के शांतिपूर्ण समाधान के लिए सहमत हुए.

LAC पर जारी गतिरोध को खत्म करने का मुद्दा

दोनों देशों के बीच यह वार्ता पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर जारी गतिरोध को खत्म करने के लिए थी. अब तक चीन से कई स्तर पर बातचीत हो चुकी है, लेकिन अब तक किसी समाधान पर नहीं पहुंचा जा सका है.

5 मई को पूर्वी लद्दाख में स्थिति तब बिगड़ गई जब करीब 250 चीनी और भारतीय सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हो गई. उसके बाद भारत ने फैसला किया कि पैंगोंग सो, गलवान वैली, डेमचोक और दौलत बेग ओल्डी जैसे सभी विवादत जगहों पर चीन की आक्रामकता से निपटने के लिए भारतीय सैनिक मजबूत रुख अपनाएंगे.

फिंगर-4 में चीनी कब्जा सबसे अहम मुद्दा

दोनों देशों के बीच हुई इस वार्ता में सबसे अहम मुद्दा यह था कि इस बार चीनी सैनिक गलवान घटी के फिंगर-4 तक आ गए हैं. दोनों देशों के बीच हुए समझौते के मुताबिक यह ऐसा इलाका है जहां भारत और चीन, दोनों दावा करते हैं और इस इलाके में भारतीय सैनिक हमेशा से गश्त करते आये हैं.

समझौते के अनुसार सैनिक वहां आ तो सकते हैं लेकिन वहां कोई ढांचा खड़ा नहीं कर सकते हैं और न ही वहां डेरा डाल सकते हैं. चीन ने इस समझौते का उल्लंघन करते हुए वहां बड़ी संख्या में सैनिक तैनात कर दिए हैं. उनका मकसद भारतीय सैनिकों को इससे आगे गश्त करने से रोकना है जबकि भारतीय सैनिक शुरू से ही फिंगर-8 तक गश्त करते रहे हैं.