द्वितीय विश्‍व युद्ध में रूस और मित्र देशों की विजय प्राप्‍त करने की 75वीं वर्षगांठ पर विजय परेड

रूस की राजधानी मॉस्‍को में 24 जून को विजय परेड का आयोजन किया गया. यह परेड द्वितीय विश्‍व युद्ध में रूस और मित्र देशों की विजय प्राप्‍त करने की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित की गयी थी. इस परेड में भारत और चीन को भी आमंत्रित किया गया था.

भारत की ओर से रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस परेड में हिस्सा लिया. वह 22-24 जून तक रूस की यात्रा पर थे. भारत की तीनों सेनाओं के 75 सदस्यों ने इस परेड में हिस्सा लिया था. परेड में हिस्सा लेने वाली टुकड़ी का नेतृत्व वीर सिख लाइट इन्फैंट्री रेजिमेंट के एक अधिकारी द्वारा किया गया था. इस रेजिमेंट ने द्वितीय विश्‍व युद्ध में भाग लिया था.

श्री राजनाथ सिंह ने इस मॉस्को यात्रा में रूस के उप-प्रधानमंत्री यूरी बोरिसोफ के साथ बैठक वार्ता की थी. बैठक में दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग की समीक्षा हुई और इसे विस्‍तार देने पर विचार-विमर्श हुआ.

द्वितीय विश्व युद्ध में भारतीय सशस्त्र बल की भूमिका

द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान ‘ब्रिटिश भारतीय सशस्त्र बल’ मित्र देशों की सबसे बड़ी टुकड़ियों में से एक थे. भारतीय सशस्त्र बल ने उत्तरी और पूर्वी अफ्रीकी अभियान, पश्चिमी रेगिस्तान अभियान और यूरोपीय थिएटर में एक्सिस शक्तियों के खिलाफ हिस्सा लिया था. इस अभियान के दौरान 87 हज़ार से अधिक भारतीय सैनिकों ने अपना बलिदान दिया और क़रीब 34,354 सैनिक इसमें घायल हुए थे.

इस युद्ध में भारतीय सेना ने न केवल सभी मोर्चों पर लड़ाई लड़ी, बल्कि दक्षिणी, ट्रांस-ईरानी लेंड-लीज मार्ग पर लॉजिस्टिक समर्थन भी सुनिश्चित किया था. इसमें हथियार, गोला-बारूद, उपकरण और भोजन सोवियत संघ, ईरान और इराक में भेजे गए थे.

भारतीय सैनिकों की वीरता को चार हज़ार से अधिक अलंकरणों से सम्मानित किया गया था, जिसमें 18 विक्टोरिया और जॉर्ज क्रॉस भी शामिल है. तत्कालीन सोवियत संघ ने भारतीय सशस्त्र बलों की वीरता की सराहना की और सूबेदार नारायण, राव निक्कम और रॉयल इंडियन आर्मी सर्विस कोर के हवलदार गजेंद्र सिंह चंद को USSR के सर्वोच्च सम्मान ‘आडर आफ द रेड स्टार’ से सम्मानित किया था.