29 जुलाई: अन्तर्राष्ट्रीय बाघ दिवस, भारतीय बाघ आकलन रिपोर्ट-2018 जारी
प्रत्येक वर्ष 29 जुलाई को अन्तर्राष्ट्रीय बाघ दिवस (International Tiger Day) मनाया जाता है. यह दिवस बाघ और उनके प्राकृतिक परिवास के सरंक्षण के बारे में जागरूकता पैदा करने के उद्देश्य से मनाया जाता है.
2010 में रूस के सेंट पीटर्सबर्ग में एक सम्मेलन में प्रत्येक वर्ष बाघ दिवस मनाने का फैसला लिया गया था. इस सम्मेलन में बाघों को लुप्तप्राय प्रजाति करार दिया था. उस समय 2022 तक बाघ की आबादी को दोगुना करने का भी लक्ष्य रखा गया था. यह भी तय किया गया था कि प्रतिवर्ष 29 जुलाई को विश्व व्याघ्र दिवस के रूप में मनाया जाएगा.
भारत में बाघों की स्थिति: मुख्य तथ्य
- भारत सरकार ने देश में बाघों को विलुप्त होने से बचाने के लिए 1973 में प्रॉजेक्ट टाइगर शुरू किया था.
- 1973-74 में देश में केवल 9 बाघ अभयारण्य थे और अब इनकी संख्या बढकर 50 हो गई है. दुनिया में बाघों की कुल संख्या के मामले में भारत पहले स्थान पर है.
- पर्यवारण मंत्रालय ने 2005 में नैशनल टाइगर कन्जर्वेशन अथॉरिटी (NTCA) का गठन किया था. प्रॉजेक्ट टाइगर के क्रियान्वयन की जिम्मेदारी NTCA सौंपी गई.
- दुनिया में बाघों की कुल संख्या में से करीब 70 प्रतिशत भारत में हैं. भारत में बाघों की जनसंख्या का 80 प्रतिशत रॉयल बंगाल टाइगर है.
- बाघ भारत और बांग्लादेश दोनों का राष्ट्रीय पशु है.
बाघों की अनुमानित संख्या पर अखिल भारतीय बाघ आकलन रिपोर्ट-2018 जारी
केन्द्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावडेकर ने विश्व बाघ दिवस की पूर्व संध्या पर देश में बाघों की अनुमानित संख्या पर अखिल भारतीय बाघ आकलन रिपोर्ट-2018 जारी की.
- इस रिपोर्ट के अनुसार देश में बाघों की संख्या 2967 है. देश में चार वर्षों में इनकी संख्या 741 बढी है. मध्य प्रदेश में देश में बाघों की सबसे अधिक संख्या 526 है. 524 और 442 बाघों के साथ कर्नाटक और उत्तराखंड क्रमशः दूसरे और तीसरे स्थान पर है.
- उत्तराखंड के कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में देश में सबसे अधिक 231 बाघ हैं, इसके बाद कर्नाटक में नागरहोल और बांदीपोरा रिजर्व में क्रमशः 127 और 126 बाघ हैं.
- बाघों के अलावा भारत के जंगलों में 30 हजार हाथी, तीन हजार एक सींग वाले गैंडे और पांच सौ से अधिक शेर भी पाए जाते हैं. उन्होंने कहा कि संसाधनों की कमी के बावजूद देश में दुनिया की करीब आठ प्रतिशत जैव विविधता संरक्षित है.